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रणपिंगळ.
समवृत्त.
१४६५ ज कामबाण, आम्र. ९ज+२ग=२९ वर्ण.
धरो ज गणो नव ने पर बे गुरु तो
घरजो पद आम्र सदाय जकामबाणे. १४६६ य कामबाण,नवमल्लिका. ९य+२ग-२९ वर्ण.
धरो खंड या ने पछी वे गुरु अन्त आणो
तमे माल्लका मांह याकामबाणे पादे. १४६७ भ कामबाण,भास्मरबाण, नीलोत्पल, भुजंगविलास.
९भ+२ग= २९ वर्ण. छे नव भागणी पर बे गुरु अन्त
नौलोत्पलमां चरणे कवि! भास्मरवाणे. १४६८ मानदकर्षा. नतस+नभनसरन+गग-२९ वर्ण.
. नतस छे नाभनस, रान घर पाद पर,
चरम पछी गाग मानदजकर्षा.. आनी मात्रा ३७ छे एटले झूलणा (प्रभात) रागमां गवायछे. 'आना प्रत्येक पादना पूर्वार्द्धमा ८+८-१६ वर्ण अने उत्तरामां ७+६ अगर ८+५=१३ वर्ण आणवाथी लय ठीक सचवाशे.
१छंदमालिका प्रमाणे. १४६९ भवनिधि भजसन+नततसय २७ वर्ण:
भाजसन छे नतत्त, साय.भवनिधि विषे
पादमाहेज कवि तो वदेछे. झूलणा (प्रभात) ना रागमां गंवायछे. कारण आनी मात्रा ३७ छे. आना प्रत्येक पादना पूर्वार्द्धमा ८+८=१६ वर्ण अने उत्तरार्द्धमां ५+६=११ अथवा ७+४ मळी अगियार के तेना उलटा कडका मूकीने ११ वर्ण आणवाथी लय ठीक सचवाशे.
१ छंदमालिका प्रमाणे. (आ दंडक आटलं छपाया बाद मळी आवतां 'आहे दाखल करयो छे, ते २७ ना पेटामां गणवो.)
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