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रणपिंगळ.
समवृत्त.
१४०७ उझितकदन. भन+३+३न+२ग १,६७,६७,८७१ उम्झितकदन विषे भन छे त्रण जा पर त्रण न पर चरम बे गा. १४०८ कुहककुहर. २न+मय+२न+मय+लग. १,९१,३२,९९२ कुहककुहरमां बेना तथा मा यपर द्विन पछी माया अने लाग छे. १.४०९ सूरसूचक. म स ज+३स+२ य+ल ग. १,९२,४८,९८५ मा साजा पद सूरसूचक विषेत्रण सा पर बे य आणो लगा अन्तमां. १४१० विषाणाश्रित.
.. य न+रभ+ज त+स य+ल ग. १४१० विषाणामा १,९८,१५.६१० 'विषाणाश्रितविषे यना छे र म अने जताछे सय तथा लगा अन्तमां. १४११ विनिद्रसिन्धुर. १२+२ ज र+ल ग. २,२३,६९.४२७ चार रा आणजो बे जरा जाणजो विनिद्रसिन्धुरे धरो लगा पदे पदे. १४१२ शकुन्तकुन्तली. १४१२ शकुन्तकुन्तल'. ।
म+२+२न+ रज र+ल ग.
२,२३,८०,१७७ मा ने बेरान बेनेर जा, र पर ल ग नवे, हये दशे शकुन्तकुन्तले,
१ वागवल्लभमां आ नाम अने ९,७,१० यति छे. १४१३ भुजगेरित. म य+न त+२न+रस+ल ग. २,३८,५३,५१३ माया ने न ताछे द्विन, रसा ने ल ग यति वसु हरे, हये भुजगेरिते.
पिंगळादर्शमां ८,११,७ यति छे. १४१४ भुजंगविजूंभित.ममत+३न+रस+लग.२,३८,५४,८४९ आठे रुद्रे मा मा ता छ, त्रण न पर रस पर लगा, भुजंगविज्रभिते.
वृत्तरत्नाकर, प्राकृतापंगळसूत्र, वाग्वल्लभ, अने शब्दकल्पद्रुममा ८, ११, ७ यति कही छे. पिंगळादर्शमां ८, १२, ६ यति कही छे, तथा छंदःप्रभाकरमां याते कही ना, ते उपर जणावेला प्रमाण ग्रंथोमां माप नहि. जोवाथी बन्युं हशे.
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