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मात्रासमक.
मात्रामेळ.
२११
जनार्दन वृत्तरत्नाकरनी टीकामां पाठांतर जणावेछे के "अष्टभ्यो भाद्गावुपचित्रा. इति क्वचित् पाठः"
आठ मात्रा पछी भगण आवे अने ते पछी बे गुरु आवे तो "उपचित्रा" थाय ( एवो क्यांक पाठ छे.) .
एनी रूपसंख्या आ प्रमाणे थाय.-- ४४३४१४१=१२४१२=१४४ एटलां रूप पूर्वार्द्धनांx १४४ उत्तरार्द्धनां=२०,७३६ बधां मळीने बीजो उपचित्रानां रूप थाय. ८. (३) उपचित्रा. चारे पादमां आठ मात्रा पछी भगण आवे, ___ बाकी गमे तेम १,५,९,१३ मात्राए ताल. सकळ मळी कल सोळज करजो, वसु कल पीथी भो गण धरजो; ते पर चार कला छुट सननो,
एमन उपचित्रा ठिक रचजो. २२३ जनार्दन वृत्तरत्नाकरनी टीकामां जणावेछे के "अष्टाभ्यो ग्ला वुपचित्रा मतान्तरमेतत्."
आठ मात्रा पछी एक गुरु आवे अने ते पछी बे लघु आवे तो "उपचित्रा" थाय (एवं पण केटलाकनुं मत छे.)
एनी रूपसंख्या आ प्रमाणे थायः-- ४४३४१४२=२४४२४=५७६ एटलां रूप पूर्वार्द्धनांx ५७६ उत्तरार्द्धना=३,३१,७७६ बधां मळीने त्रीजी उपचित्रानां रूप थाय.
मंदारमरंदचंपूमां पण एमज केहेछे.
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