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मात्रासमक.
मात्रामे.
आठ कला पछौं चरण चरणमां, द्विनवर वा जिलधर धर गणमां; जगण (Isi) ए छे जाति-नवासिका तो,
ताल प्रथम ने श्रुति चडौं गा तो. २१९ एनी रूप संख्या नीचे प्रमाणे थायछे:
प्रथम स्थाननां उपर जणाव्या प्रमाणे जगण बाद करतां बाकीनां ४ रूप थायछे, तथा बीजा स्थाननां पांच रूपमाथी जगण अने विप्रगण बाद थायछे, कारण के जगणथी छठ्ठी ने सातमी मात्रा एकठो थायछे, अने विप्रगण मूकवाथी विश्लोकमां अतिव्याप्ति थायछे, एटले ते वर्ण्य करतां बाकीनां त्रण रूप थायछे; त्रीजा स्थानमा मात्र जगण के विप्रगणन आवेछे, माटे तेनां ये रूप; अने चोथामां कर्ण के सगण आवे एटले ४४३४२४२=४८x१८= २३०४ रूप पूर्वार्द्धनां, अने तेटलांज उत्तरार्द्धनां, माटे २३०४४ २३०४=५३,०८,४१६ रूप बधां मळीने थायछे. ५. चित्रा. पांचमी, आठमी ने नवमी मात्रा लघु, बाकी
गमे तेम आवे.=१६ मात्रा. १,५,९,१३मात्राए ताल.
सोळ सकल कल धर दर झडमां, शर वसु नव कल कर लघु पदमां; ताल प्रथम पर पछी श्रुति चडता,
चित्रा विषे सरस तो पडता. २२० एनां रूप ४४२४३४२=४८४४८=२३०४ पूर्वार्द्धनां, तेटलांन उत्तरार्द्धनां एटले २३०४४२३०४=५३,०८,४१६ थायछे. प्रथम स्थानमां पूर्वोक्त चार रूप थाय; बीना स्थानमा
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