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रणपिंगळ.
समवृत्त.
१३
बार वळी जख उपर छे यति, भा गण आठ पछी ग कस्ये शिविकः ___ १ वागवल्लभमा छे पण तेमा यति नथी. २ पिंगळादर्शमां १२,१३ यहि कही छे, अने तेम बोलाय पण छे. १३८१ भाविनीविलसित. ४रन+ग. १,५४,४५,६९ चार छ रन गणो तथा चरम गा धरो चरण भाविनीविलसिते. १३८२ कलकंठ. २
८,८,९ यति. सन+नज+भनर+नग.
• १,५४,६१,३५६ कलकंठ साज पर, न ज छे भ नार न ग, यति आट आठ नवर्ष
__आ नाम अने यति मंदारमरंदचम्पूमा छे. १३८३ विशेषकवलित, विशेषित । २न+२+३ज+न ग.
। १,६१,७५,१६८ प्रथम न गण वे आवे बे मा लोक जा पद थाय विशेषकवलिते. १३८४ अभ्रभ्रमण. तन+मस+४न+ग. १,६७,७४,७१७
अभ्रभ्रमण विषे ताना पर मा स कर चतुर न धर ग चरमे. १३८५ क्रौंचपदा', । भमस+भ+४न+ग १,६७,७६,३९१
क्रौंशपदा२. ५,६,८,७यति. क्रौंचपदामां, भा म स छे भा, युग न पर गशर शर वसु हय छे.
१ छंदःशास्त्र, वृत्तरत्नाकर, शब्दकल्पदुम, छंदोलता अने छंदोमंजरीमां क्रौंचपदाना उपर प्रमाणे गण तथा यति छे.
२ क्रौशपदा नाम वाग्वल्लभमां छे, तेमां उपर प्रमाणे गण अने यति छे. तेणे छंदोमंजरीनुं अक्षरे अक्षर माप उतारी लीधु छे. मात्र प्रारंभमां क्रौंच शब्द फेरवीने कोश शब्द मूक्यो छे.
पिंगळादर्शमां कौंचपदामां भमनभननननग एg माप अने ५,५,८.७ यात कही छे, पण छंदःशास्त्रमा “मौ स्भौ नौ नौ ग" इत्यादि सूत्र छे, तेमां बीजो गण स छे, त्यां आगळ ननी भ्रान्ति थवाथी पिंगळादर्शमां मौ न्भौ नौ नौ ग एम उतास्युं छे, तेथीज तेमां भूल थइ छे.
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