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रणपिंगळ.
समवृत्त
छ ए रुद्रे छेदो, यमन स भ लागे शिखरिणी. १. प्राकृतपिंगळसूत्र, छंदोमंजरी, वागवल्लभ, छंदोवृत्तमुक्तावली,, वृत्तरत्नाकर अने पिंगळादर्शमां ६,११ यति मूकी छे, राग बाहार, ताल मिश्रजाति धुवपंच, मात्रा २५, मध्यकाळ.. (संगीतानुः सार छंदोमंजरी.) ११३७. समदविलासिनी. न,ज,भ,ज,भ,ल,ग. ६०,३३६
. समदविलासिनी न ज भ जाम ला गुरु रचो, ११३८ सुधाधारा. ६, ११ यति. य,त,न,न,भ,ल,ग. ६१,४१० सुधाधारा राग, शिव यतिं यतनान.भलगे.
१पिंगळादर्श प्रमाणे यति छे.. १.१३९ विधुरविरहिता:६, १२यति.स,त,य,भ,न,ल,ग.६५,६ १.२. स्त य भा नाला, गुरुथी पांचे विधुरविरहिताः
वागवल्लभ. ११४० शुकवनिता,शिशुवनिता. स,स,भ,भ,न,ल,ग. ६४,९२४६
स स भाभ नलागा धरिने रच शुकवनिता.. ११४१ वाहान्तरित. तन,भ,भ,न,ल,ग. ६४,९५७ वाहान्तरित विषे धरजो तनभभ नलगा.
१ वाग्यल्लभमां छे.. ११४२ वंशपत्रपतित,जलधर
रसित,. वंशवदन', ( भ,र,न,भ,न,ल,ग. ६४,९८२ वंशपत्र,वंशदल,वंश- १०,७ यति३. पत्रपतितार..
दिग्मुनि वंशपत्रपतिते, भर न भ न लगा. शंभुमते प्राकृतपिंगळसूत्रमा जणाव्युं छे. २ "माघकाव्य" मां ए नाम छे.. ई छंदःशास्त्र, मंदारमरंदचंपू, वागवल्लभ, अने वृत्तरत्नाकरमां ए. प्रमाणे
यति-छ..
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