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रणपिंगळ.
समवृतः
४ गणप्रस्तार प्रकाश. राग हरिश्चंद्रिका, ताल चतुश्र पंचक, मात्रा ३३, मध्यकाळ. (संगीतानुसार छंदोमंजरी. )
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१२५९ सारीसुन्दरी. १ २स+भसं+त+जयं. ४,४४,३१६. द्विसछे भस छे ता पर ज य सारीसुन्दरौना पदमांहे.
१२६१ नरेन्द्र', समुच्चय २.
१ त्रेवीश अक्षरमां अंक १३२३मे “सुंदरी " वृत्त छे, अने ते केटलांक पिंगळोमां छे, छतां २९ अक्षरमां पण तेज नाम छे, माटे फेर रेहेवा सारी विशेषण मूकी सारीसुंदरी नाम राख्युं छे. १२६० शुभता. ७,७, ७यति १. मर+ भन + जजय.
४,५०,४४९
७ เร่
मारा पूढे भ ना छे, हय हय यति छे, जंज या शुभतामां
१. पिंगळादर्शमां ए यति कही छे.
{
भर + २न + २जं+य. ।
}
१४, ७ यति.
- ४,१०,११९
भार नरेन्द्रमां द्विन द्विज पर य छे, यति चौद हये छे.
१ वाणीभूषण, प्राकृतपिंगळसूत्र, अने छंदोवृत्तमुक्तावलीमाँ ए नाम छे, पण यति कही नथी. पिंगळादर्शमां नरिन्द्र नाम आपी तेमां १४,७ यति कही छे. २ भाषा छंदोमंजरीमा यति वगरन ऐज मापना वृत्तने समुच्चय नाम आप्युं छे.
मर+भन+यरर.
१२६२ दुरावलोक.
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०५
१४,७ यति.
ક ७
मारा छे भान छे यारर मनु हय वे, दूरावलोके यति. १ वाग्वल्लभमां ए यति छे.
१२६३ शरकांडप्रकांड. सरन+४र. ९,९९,५०८ शरकांडप्रकांड सरना पछी चार छे रा गणो पादमां. १२६४ कलमतल्लिका. (वा व . )
३नर+र. ६,१९,९९९