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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ૮૬ रणपिंगळ. समवृतः ४ गणप्रस्तार प्रकाश. राग हरिश्चंद्रिका, ताल चतुश्र पंचक, मात्रा ३३, मध्यकाळ. (संगीतानुसार छंदोमंजरी. ) Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२५९ सारीसुन्दरी. १ २स+भसं+त+जयं. ४,४४,३१६. द्विसछे भस छे ता पर ज य सारीसुन्दरौना पदमांहे. १२६१ नरेन्द्र', समुच्चय २. १ त्रेवीश अक्षरमां अंक १३२३मे “सुंदरी " वृत्त छे, अने ते केटलांक पिंगळोमां छे, छतां २९ अक्षरमां पण तेज नाम छे, माटे फेर रेहेवा सारी विशेषण मूकी सारीसुंदरी नाम राख्युं छे. १२६० शुभता. ७,७, ७यति १. मर+ भन + जजय. ४,५०,४४९ ७ เร่ मारा पूढे भ ना छे, हय हय यति छे, जंज या शुभतामां १. पिंगळादर्शमां ए यति कही छे. { भर + २न + २जं+य. । } १४, ७ यति. - ४,१०,११९ भार नरेन्द्रमां द्विन द्विज पर य छे, यति चौद हये छे. १ वाणीभूषण, प्राकृतपिंगळसूत्र, अने छंदोवृत्तमुक्तावलीमाँ ए नाम छे, पण यति कही नथी. पिंगळादर्शमां नरिन्द्र नाम आपी तेमां १४,७ यति कही छे. २ भाषा छंदोमंजरीमा यति वगरन ऐज मापना वृत्तने समुच्चय नाम आप्युं छे. मर+भन+यरर. १२६२ दुरावलोक. For Private And Personal Use Only ०५ १४,७ यति. ક ७ मारा छे भान छे यारर मनु हय वे, दूरावलोके यति. १ वाग्वल्लभमां ए यति छे. १२६३ शरकांडप्रकांड. सरन+४र. ९,९९,५०८ शरकांडप्रकांड सरना पछी चार छे रा गणो पादमां. १२६४ कलमतल्लिका. (वा व . ) ३नर+र. ६,१९,९९९
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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