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२१ प्रकृति छंद.
वर्णमैळ.
कलमतल्लिका त्रण न रापछी र गण छेवटे थायछे. १२६५ चम्पकमालिका', चम्पकावली.
नत सछे ने जत्रण छे र छेवट चम्पकमालिका पदे.
१२६६ शशिवदना, सरसी १,
पंचकावली, सिंहक ३ सलिलनिधि, सिद्धक५, सिद्धिका ६, सिद्धि,
धृतश्री.
૩૭.
नतस + ३ज + र ७,११,४००
१ वाग्वल्लभमां आ बने नाम आपी तेनुं माप नजभजजजर आप्युं छे अने ते ७,११,४०० मुं रूप छे एम जणाव्युं छे, पण एवा गणवाळु रूप ७, ११, ६०० मुं थाय अने ते तो अंक १२६६ मे जूनुं आपवामां आव्युं छे एटले आ वृत्तमां गण लखवानी वागवल्लभमां भूल थइ गइ छे.
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बज़भ+३ज+र.
७,११,६ ० ०
शशिवदना नजाभ पर जात्रण ते पर रा पदे करो.
१ - २ एबे नाम वाग्वल्लभमां छे, छंदोमंजरी, अने छंदःप्रभाकरमां पण सरसी नाम आपी यति कही नथी. छंदोर्णव सरसीमा एकादश (११) वर्णे यति केहे छे. २ - ४ सरसीने कोइ एवां नाम आपेछे, एम शब्दकल्पद्रुममां छे. पण तेमां यति कही नथी. ४ वृत्तरत्नाकरमां के छे के, आज कोई सिद्धक केहे छे. ५ प्राकृत पिंगळसूत्रनी टीकामां सिद्धक नाम छे, पण तेमां यति नथी. ६ छंदोबोधमां कह्युं छे के कोइ एने सिद्धिका केहे छे. १२६७ कनकमालिका. (वा. व . ) ३रन+र.
७,६९,६२७
थायछे कनकमालिका ऋण र ना पछी र धरवा थकी. १२६८ सुरनर्त्तकी'. ६,६,६, ३यति. ३ रन + २. ७,६५,६२७