________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
वैतालीय.
मात्रामेळ.
२१५
आमां बीजी मात्रा त्रीजी भेगी अवश्य लाववी एटले पेहेलो अक्षर लघु ने बीजो अक्षर गुरु आववाथी तेम थशे ४, ६, ८मी मात्रा पोतानी पछीनी मात्रा साथे भेगी भेळववी नहि.
313 13
समें दिशा + सूर्य वास छे, रगण.
कला छ विषमे तो घराय छे;
313 13
पछी रगण वास अंतिके,
रचाय रचना दक्षिणांतिके. २२९
"भाषा छंदोमंजरीमां" पेहेला त्रीजामा १४ अने वीजा चोथामा १५ मात्रा लाववा केहेछे, पण तेनो बीजो आधार नथी.
दक्षिणांतिकानी रूपसंख्या आ प्रमाणे थाय छेः
एनां चारे पादमां बीजी अने त्रीजी मात्रा भेळी आवे एवां रूप लाववानां छे, माटे त्रीजुं (ISIS), अने अगियारमुं ( ISIII ) एवां बेज रूप मात्र काममां आवेछे, तेथी विषम चरणनां बेज रूप थाय; अने सम चरणमां त्रीजुं (ISISS), ११ मुं (ISIS), २४ मुं ( ISISII), अने ३२ मुं (ISIII), ए रीते चार रूप काममा लागेछे, तेथी २x४ = ८ रूप पूर्वार्द्धनां, अने तेटलांज रूप उत्तरार्द्धनां थतां <×८ = ६४ रूप बधां मळीने चायछे.
५ उदीच्यवृत्ति. १, २. मां ६+र+ल+ग = १४. २, ४, मां ८+र+ल+ग =१६.
वैतालीय प्रमाणे पादनी रचना करवी.. पण पेहेला ने त्रीजा पादमां बीजी श्रीजी मात्रा दक्षिणान्तिका प्रमाणे एकठी आवे, ने बीजा चोथा पादमा ए नियम लागु नथी, एटलो दक्षिणान्तिका करतां आमां फेर छे.
अयुग्म पादे सदा भले, बीजी त्रीजी तो कला मळे;
For Private And Personal Use Only