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विषमजाति
मात्रा मेळ.
भाकृत पिंगळसूत्रमां कह्युं छे के बीजा अने चीथा चरणम प्रथमनो चोकलियो एवो लाववो के जेमां पेहेली बे मात्रा छूटी आवे, अर्थात् बीजी अने श्रीजी भळे एको गण न मूकवों, अने श्रीजा तथा पांचमा पादमां ३+३डगण मात्र लाववा केहेछे. विशेषमां ते आजातिनुं नाम वस्तु केहेहे. वाग्वलभमांज मात्र ८, ७ यति आणवा कह्युं छे, बीजा ग्रंथकारो तेम केहेता नथी. वळी विषममां १५ अने सममां ११ मात्रा आणवा केहेछे, अने तेमां छेली मात्रा लघु लाववा जणावेछे, बीजी विगत आपी नथी.
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वृत्तरत्नाकरनी नारायणभट्टी टीकामां त्रीजा अने पांचमा चरणने अंतें भगण आणवा कथं छे, ते, उपर जे माप बतान्युं छे, तेमां लावे. लघु पेहलांनी वे मात्रानो गुरु आववाथी थइ शके, वळी जामा छेलो विप्रगणन लाववो जोइये एवो नियम नथी.
५. भद्रा, भद्रिका (११७)
६. तालंकिनी (११९). ७. मोहिनी (१२७).
रंडाना सात भेद प्राकृतपिंगळसूत्र, वृत्तरत्नाकरनी नारायण मट्टी टीका, वृत्तमौक्तिक, अने छंदः शास्त्रमां आप्या छे. तेमां मात्रानी संख्यानो क्रम छेतेने अनुसरीने अमे नीचे प्रमाणे गोठल्या छे.
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१. करभी, नवपदी, उष्ट्री, कलभी (१०९ मात्रा ). २. नंदा (११२)
३. चारुसेना, चारुसेनी, चारुणी, बछुवा, वस्तु (१९१५) - ४. राजसेना (११६).
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मागवीछंदः शतक एज सात प्रकार, वस्तु जातिना नीचेने क्रम गणावेछे. ते उपरथी रंडानुं ए पण एक नाम होय एम कल्पना
थायछे..
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