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जातीय-एकता : एक विचारणा
भाइयो, नीतिकारों ने कहा है कि उत्तम गुणों का समावेश उत्तम पुरुपों में होता है और दुर्गुणों का समावेश अधम पुरुषों में होता है। मैं आपसे पूछता हूं कि क्या मनुप्य उत्तम और अधम शरीर से कहलाता है, कपड़ों से, या गहनों से ? इन किमी से भी मनुष्य उत्तम या अधम नहीं कहलाता है । किन्तु अपने उच्च कृत्यों से उत्तम दौर नीच कृत्यों से अधम कहलाता है। जो जैसा भला या बुरा कार्य करता है, वह दुनिया उसे वैसा ही कहने लगती है। ___ आज के बुद्धिवादी युग में एक और तो दुनिया बड़े सुधार की ओर जा रही है और दूसरी ओर भारी नुकसान कर रही है। ये दो बातें साथ मे चल रही है । सुधार के विषय में आज लोग वाहते हैं कि मानव मात्र को एक रूप में मानो । उनका यह कहना गलत नहीं है, सत्य है। जब हम एक देश के निवासी है, एक ही आर्य संस्कृति के उपासक हैं और एक धर्म के माननेवाले है, तन्त्र हमारे भीतर भेदभाव क्यों होना चाहिए ? अत: सब मनुष्यों का एकीकरण आवश्यक है । उनका यह कथन एक दृष्टिकोण से ठीक है । परन्तु दूसरा दृष्टिकोण गलत होता जा रहा है। क्योंकि हमारे पूर्वजों ने प्रभ की यह समता वाणी नहीं सुनी, या उस पर अमल नहीं किया, यह हम मानने को तैयार नही हैं । वाणी उन्होंने भी सुनी है मोर उस पर अमल भी उन्होने किया है ।