Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 02
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 12
________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला हो जाते हैं। ' नमकीन ' रस अधिक खाने से नेत्र.. पाक , रक्तपित्त आदि अनेक रोग उत्पन्न होते है , शरीर में सलवटें पड़ जाती हैं, बाल उड़ जाते और सफेद हो जाते हैं। अधिक चरपरी चीजें खाने से मुख तालु कण्ठ और होठ सूखते हैं / मूर्छा और प्यास उत्पन्न होती है, एवं बल तथा कान्ति का नाश होता है। इसी तरह 'कड़वे ' और ' कसैले ' पदार्थ अधिक खाने से भी अनेक रोग हो जाते हैं / इसलिये किसी एक रस को ज्यादा नहीं खाना चाहिये। (16) भोजन करते समय पहले मीठे पदार्थ खाना, बीच में खट्टे और खारे पदार्थ खाना, अन्त में वरपरे कड़वे या कसैले पदार्थ खाना उचित है। (17) यदि अच्छे पके हुए फल खाना हो तो भोजन करने के बाद खाना चाहिये, लेकिन कच्चे या लड़े फल खाना हानि. कारक है। . . (18) दाल शाक आदि में मसाले खाना अच्छा है, लेकिन बहुत ही ज्यादा मसाले खाना पेट को नुकसान पहुंचाता है। .. (16) भोजन में बहुधा खारे खट्टे चरपरे गर्म और दाह करने वाले पदार्थ खाये जाते हैं - उन से पित्त की वृद्धि होती है; इसलिये पित्त की वृद्धि रोकने को भोजन के अन्त में दृध अवश्य पीना चाहिये।

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