________________ नीति-शिक्षा-संग्रह - - कदापि देर नहीं करना चाहिये; क्योंकि शाम को देर करके खाने से आहार अच्छी तरह नहीं पचता और अजीर्ण हो जाता है। (12) प्यास लगने पर पानी न पीने से कण्ठ और मुख सूख जाते हैं, कान बन्द हो जाते हैं और हृदय में पीड़ा होती है, अतः प्यास लगने पर जल' अवश्य पीना चाहिये। (१३)बिलकुल जल न पीने से अन्न नहीं पचता और अधिक जल पीने से भी अन्न अच्छी तरह नहीं पचता; इसलिये ऐसा भी न करे कि भोजन करके लोटा भर झुका जाय और ऐसा भी न करे कि जल पीवे ही नहीं ! अग्नि बढ़ाने के लिये बारम्बार थोड़ा थोड़ा पानी पीना हितकारी है। (14) भोजन हमेशा एकाग्रचित्त होकर किया करो / भोजन करते समय सब तरफ का ध्यान छोड़ दो / जब तक भोजन न पच जाय, तब तक चिन्ता, ईर्षा, द्वेष क्रोध और कलह आदि से बिलकुल बचो; क्योंकि भोजन के समय चिन्ता, द्वेष, कलह आदि करने से भोजन अच्छी तरह नहीं पचता / भोजन अच्छी तरह न पचने से अजीर्ण आदि रोग हो जाते हैं। (१५)हमेशा एक ही प्रकार का रस खाना भी उचित नहीं है, बहुत मीठा ' खाने से ज्वर, श्वास, गलगण्ड, अर्बुद, कृमि, स्थूलता, प्रमेह और मंदाग्नि आदि रोग हो जाते हैं। बहुत खट्टा' रस खाने से खुजली, पीलिया, सुजन, भौर कुष्ट आदि रोग उत्पन