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आहार और अनुशासन
को घटित करने के लिए वे स्मृति घटाने वाले रसायनों की खोज कर रहे हैं। इसी प्रकार स्मृति को वृद्धिंगत करने वाले रसायनों की खोज भी चल रही है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के अनुसार स्मृति बढ़ाने वाले द्रव्य ये हैं-गोरखमुंडी, सतावरी, ब्राह्मी, शंखपुष्पी आदि-आदि। आज के वैज्ञानिक इस खोज में पूरी तन्मयता से लगे हुए हैं कि कौन-सा रसायन क्या कार्य करता है? उसके आधार पर वे विभिन्न रसायनों का निर्माण कर रहे हैं। आयुर्वेद के आचार्यों ने पदार्थों की खोज की और उन पदार्थों के द्वारा रसायनों को पैदा करने का उपाय बताया। प्रक्रिया में कोई अन्तर नहीं है, मूल बात एक ही है कि उन खोजों के द्वारा, उन पदार्थों के द्वारा मस्तिष्क में विशेष प्रकार के रसायनों का निर्माण करना और मस्तिष्क की शक्ति को बढ़ाना या घटाना। दोनों कार्य हो सकते हैं, मस्तिष्कीय शक्ति का विकास भी हो सकता है और हास भी हो सकता है।
__ शारीरिक दष्टि से भोजन के प्रभावों की जितनी खोजें हई हैं, उतनी खोजें मनुष्य के स्वभाव को रूपान्तरित करने की दिशा में कम हुई हैं। आयुर्वेद में भी कम हुई हैं और एलोपैथिक में भी कम हई हैं।
आयुर्वेद के आचार्यों ने भोजन के अनेक प्रकार बतलाए हैं-जीवनीय, बृहणीय, दीपनीय, बल्य आदि-आदि।
एक प्रकार का भोजन वह होता है जो जीवनशक्ति को बढ़ाता है, उसको बनाए रखता है। एक प्रकार का भोजन वह होता है जो बृंहणीय होता है, शरीर को पुष्ट करने वाला होता है। दीपनीय भोजन अग्नि का दीपन करता है। एक प्रकार का भोजन वह होता है जो बल की वृद्धि करता है, और भी अनेक प्रकार हैं।
द्रव्य तीन प्रकार के होते हैं-शमन करने वाले, कुपित करने वाले, संतुलन रखने वाले। कुछ द्रव्य ऐसे होते हैं जो वात, पित्त और कफ का शमन करते हैं, कुछ द्रव्य ऐसे होते हैं जो वात, पित्त और कफ को कुपित करते हैं। कुछ द्रव्य ऐसे होते हैं जो वात, पित्त और कफ को सम अवस्था में रखते हैं, संतुलित रखते हैं, इनके संतुलन को बिगड़ने नहीं देते।
पित्त को कुपित करने वाले द्रव्य क्रोध को भी कुपित करते हैं, पित्त और क्रोध का गहरा संबंध है। जिस व्यक्ति का पित्त कुपित होता है, उसका क्रोध भी कुपित होता है। जिस व्यक्ति का कफ कुपित होता है, उसका लोभ भी कुपित होता है। कफ को कुपित करने वाले द्रव्य लोभ को भी कुपित करते हैं। कुछ व्यक्ति लालची होते हैं। हजार बार उपदेश सुन लेने पर भी उनकी लालची मनोवृत्ति. में कोई अन्तर नहीं आता। वे बेचारे क्या करें? उनमें कफ का प्रकोप बना रहता है तब वे उस लालची मनोवृत्ति से कैसे छुटकारा पा सकते हैं? मनोवृत्ति नहीं
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