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इन्द्रिय अनुशासन
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अलग करने का सबसे सीधा उपाय है कि दोनों को साथ में रख दो। वे जितने पास रहेंगे दूर होते जायेंगे। वे जितने दूर रहेंगे, प्रेम बना रहेगा। सदा साथ में रहने वाले पति-पत्नी का प्रेम भी टूट जाता है। साथ में रहने वाले पारिवारिक जनों का प्रेम भी टूट जाता है। न जाने वह कितनी बार टूटता है और कितनी बार सधता है! मित्र का सम्बन्ध, प्रियता-ये सब दूरी की अपेक्षा रखते हैं। एक निश्चित दूरी रहती है तो ये निभते हैं, चलते हैं, अन्यथा नहीं। निकटता आते ही परस्पर टकराहट होने लग जाती है। मित्रता टूटने लग जाती है।
क्या पदार्थ जीवन को रसमय बनाता है? नहीं। वह एक बार रसमयता का आभास हमें कराता है। किन्तु समय के साथ-साथ रसमयता समाप्त होती जाती है। पदार्थ के सेवन से आदमी में इतनी ऊब जाग जाती है कि पदार्थ का मूल्य कम हो जाता है।
एक संन्यासी था। वह बहुत प्रसिद्ध था। राजा के कानों तक उसकी यशोगाथा पहुंची। उसने संन्यासी को राजमहल में आमन्त्रित किया। संन्यासी गया। एक लकड़ी के आसान पर बैठ गया। बातचीत के समय संन्यासी ने राजा से कहा-“महाराज! जीवन का सबसे बड़ा मूल्य है अध्यात्म।' राजा को यह सुनकर आश्चर्य-सा हुआ। वह पूर्ण नास्तिक था। उसने कहा-अध्यात्म मूल्यवान कैसे हो सकता है? वह स्वयं अमूर्त है। जिसका कोई रूप नहीं, आकार नहीं, जो कुछ भी पदार्थ नहीं, फिर वह मूल्यवान कैसे हो सकता है? संन्यासी समझ गया। उसने कहा-राजन! यदि अध्यात्म मूल्यवान नहीं है तो क्या तुम्हारा राज्य मूल्यवान है! राजा ने अहं की हंसी हंसते हुए कहा-महाराज! आप ठीक कहते हैं। राज्य बहुत मूल्यवान है। आप देखें, मेरा ऐश्वर्य, मेरी सम्पदा, मेरा खजाना कितना मूल्यवान है! सारे लोग उसको पाने के लिए ललचाते हैं, तरसते हैं। लोग चाहते हैं राजा बनना ही श्रेयस्कर है। ऐसा एक भी व्यक्ति नहीं मिलेगा, जिसके मन में राजा बनने की तमन्ना न हो। मूल्य है तभी तो सब लोग तरसते हैं।
संन्यासी बोला-तुम्हारे राज्य का मूल्य है दो गिलास पानी। इस स्थिति में वह मूल्यवान कैसे हो सकता है?
"महाराज! आप अपनी बात को समझाएं।''
_ “राजन ! कल्पना करें कि आप एक दिन शिकार करने के लिए जंगल में गए। मार्ग भूल गए। भटक गए। दिन का समय। चिलचिलाती धूप। भरपेट भोजन किया हुआ। चटपटा भोजन। प्यास लग गई। भंयकर प्यास। यदि कुछ समय तक पानी न मिले तो प्राणों से हाथ धोना पड़े। जीवन-मरण का प्रश्न उपस्थित हो गया। उस समय यदि भाग्यवश कोई व्यक्ति एक गिलास पानी लाकर
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