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मैं कुछ होना चाहता हूं को दे दी। घुड़सवार आगे बढ़ गया। उसके मन में आया मैं भूल कर बैठा। बुढ़िया की गठरी भारी-भारी थी। उसमें कुछ माल अवश्य था। यदि मैं उस गठरी को लेकर आगे बढ़ जाता तो बुढ़िया क्या कर पाती? मैंने बड़ी मूर्खता की। आया हुआ माल व्यर्थ ही लौटा दिया। वह वहीं रुक गया। इतने में ही बुढ़िया भी धीरे-धीरे वहां पहुंच गई। घुड़सवार बोला-मां ! थक गई होगी। लाओ गठरी दो। आगे रुक जाऊंगा। बुढ़िया बोली-नहीं, अब गठरी नहीं दूंगी। जो तुम्हें कह गया, वह मुझे भी कह गया।
बुढ़िया जान गई कि अब घुड़सवार के मन में धोखा देने की भावना आ गई।
___ भावना की शक्ति प्रसरणशील होती है। भावना हमारी सूक्ष्म भाषा है। यह सूक्ष्म वाणी है। एक व्यक्ति के मन में जो भाव या भाषा बनती है, सामने वाले व्यक्ति के मन में उसकी प्रतिक्रिया भाषा में बन जाती है। यह ऐसा जाना-पहचाना मनोवैज्ञानिक सत्य है जिसे कोई उलट नहीं सकता। वह अन्यथा नहीं हो सकता। एक व्यक्ति किसी के बारे में अच्छे विचार करता है, अच्छी भावना करता है, सामने वाले में अपने आप अच्छे विचार आ जाते हैं, अच्छी भावना आ जाती है। बुरा विचार करता है तो सामने वाले के मन में उसके प्रति अप्रियता की भावना जाने-अनजाने पैदा हो जाती है।
वाणी की एक शक्ति है भावना और दूसरी शक्ति है उच्चारण। उच्चारण के आधार पर ही समूचे मंत्र-शास्त्र का विकास हुआ है। भावना और उच्चारण के आधार पर ही मंत्र-शक्ति का विकास होता है। तंरग का सिद्धांत भी इसके साथ जुड़ता है। आज वाणी पर आधुनिक खोजें हुई हैं, मंत्रशास्त्रीय खोजें हुई हैं। इन खोजों में तीनों शक्तियों की बात निर्णीत हुई हैं। तीनों बातें जुड़ी हुई मिलती हैं। पहली बात है भावना। दूसरी बात है उच्चारण और तीसरी बात है उच्चारण के द्वारा उत्पन्न वाणी की शक्ति। उच्चारण के साथ-साथ तरंग पैदा होती है। एक शब्द का उच्चारण होता है और अल्फा-तरंग पैदा हो जाती है। एक शब्द का उच्चारण होता है और थेटा-तंरगें पैदा हो जाती हैं, बेटा तरंगें पैदा हो जाती हैं। इन तरंगों के आधार पर मंत्रों की कसौटी की जाती है। 'ओम्' का उच्चारण होता है, अल्फा-तरंगें पैदा होती हैं और मस्तिष्क रिलेक्स हो जाता है, शिथिल हो जाता है। जैसे-जैसे मस्तिष्क की शिथिलता बढ़ती है, अल्फा-तरंगें पैदा होती चली जाती हैं। शिथिलन के लिए यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। जितने भी बीज-मंत्र हैं उनसे भिन्न-भिन्न तंरगें उत्पन्न होती हैं और वे मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। बीजाक्षर हैं-अ, सि, आ, उ, सा, अहँ, ओम्, ही, श्री, क्लीं। ये सारे बीजमंत्र हैं।
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