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मैं मनुष्य हूं (१)
अनुसंधान नहीं चलते। आज सारे संसार में ऊर्जा पर कितने अनुसंधान हो रहे हैं! ऊर्जा के नये-नये स्रोत खोजे जा रहे हैं । हमारी बिजली ऊर्जा के आधार पर चलती है । चूल्हे ऊर्जा के आधार पर जलते हैं । यदि ऊर्जा नहीं होती तो रोटी भी नहीं पकती, प्रकाश भी नहीं मिलता, पंखे भी नहीं चलते और हवा भी नहीं मिलती। सबके लिए ऊर्जा के स्रोत चाहिए । यह श्वास हमारी प्राणिक ऊर्जा का स्रोत है। जब तक इस स्रोत को नहीं खोज लिया जाता और इस स्रोत को नहीं समझ लिया जाता, तब तक ये चूल्हें, चाहे शरीर को पकाने वाले हों, चाहे मन को पकाने वाले हों और चाहे वाणी को पकाने वाले हों ये कभी जल नहीं सकते । इसलिए हमें सबसे पहले ध्यान केन्द्रित करना होता है श्वास की ऊर्जा पर ।
श्वास की शक्ति जागे, श्वास का बल बढ़े । दीर्घश्वास का प्रयोग श्वास की शक्ति बढ़ाने का प्रयोग है । जो आदमी छोटा श्वास लेता है वह आदमी श्वास बल को विकसित नहीं कर सकता, सम्यक् श्वास कहां है? छोटा श्वास चलता है, बहुत छोटा श्वास । एक मिनट में कुछ लोग २२ - २३ श्वास भी लेने लग जाते हैं, बहुत छोटा श्वास लेते हैं । गति होनी चाहिए मन्द श्वास की दिशा में, और हो रही है तीव्रश्वास की दिशा में। श्वास की गति मन्द होगी, श्वास लम्बा होता चलेगा, संख्या घटती जाएगी। जैसे-जैसे श्वास की संख्या घटेगी, जीवनशक्ति बढ़ेगी, दीर्घायु होगा आदमी, शरीर की शक्ति बढ़ेगी, प्राण की शक्ति बढ़ेगी। जैसे-जैसे श्वास की संख्या बढ़ेगी आयु कम होगी, शक्ति का खर्च ज्यादा होगा । हम जागते समय जितने श्वास लेते हैं नींद में उससे ज्यादा श्वास लेने लग जाते हैं। जहां जागते समय १५-१६ श्वास लेते हैं वहां नींद में २०-२२ श्वास हो जायेंगे। आवेग की स्थिति में श्वास और बढ़ जाते हैं। इसका अर्थ है कि जीवनशक्ति का क्षरण होने लग जाता है । हमारी शक्ति का व्यय अतिरिक्त होने लग जाता है । जो आदमी स्वस्थ जीवन जीना चाहता है, दीर्घायु होना चाहता है, अकाल मृत्यु नहीं चाहता, अपने शक्ति भण्डार को जल्दी से खाली करना नहीं चाहता, उसके लिए दीर्घश्वास का प्रयोग सबसे महत्त्वपूर्ण और मूल्यवान है । यदि दीर्घश्वास का अभ्यास करें, श्वास की संख्या को घटायें - १५ की स्थिति से १०-८-७-५ - २ तक ले जायें तो अपने आप श्वास का बल बढ़ेगा, शक्ति का व्यय बहुत रुक जायेगा ।
आज के शिक्षा जगत् में एक बड़ी भ्रान्ति चल रही है । वह यह कि हम विज्ञान के इतिहास को चार सौ वर्षों का इतिहास मान रहे हैं और पश्चिमी लोगों को ही वैज्ञानिक मान रहे हैं । भारतीय लोगों को तो हम वैज्ञानिक मानते ही नहीं हैं । कहां किसी का नाम आता है ? हमारे यहां सैकड़ों वैज्ञानिक हुए हैं। उन्होंने बड़ी वैज्ञानिक खोजें कीं। पर इतिहास में उनका उल्लेख नहीं है। अब मुश्किल से कुछ
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