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मैं कुछ होना चाहता हूं व्यक्ति को होती है, उसके मुंह से जो बात निकल जाती है, वह घटित होती है। यानी पदार्थ-जगत् प्रभावित होता है, परमाणुओं में एक हलचल हो जाती है और उन परमाणुओं को बदलना ही पड़ता है और वैसी घटना को घटित होना पड़ता है। आज भी ऐसे लोग मिलते हैं कि जिनके मुंह से कोई वचन निकल गया, वह बात होती ही है। वचन में इतनी बड़ी शक्ति आ जाती है। यह भी प्राणशक्ति के.विकास के द्वारा संभव है, प्राणशक्ति जुड़ जाये तो शरीर का बल कल्पनातीत बढ़ जाता है। प्राण की धारा जुड़ जाए तो वाणी का बल बढ़ जाता है और प्राणशक्ति की धारा जुड़ जाये तो मन का बल भी बढ़ जाता है। प्राण की धारा जुड़ जाये तो श्वास का बल भी बढ़ जाता है। आज तो हमारी स्थिति यह है कि श्वासबल की बात तो दूर रही, श्वास को सम्यक् लेना भी नहीं जानते। सम्यक् श्वास का लक्षण है कि पेट फूलना चाहिए। सीना फूले, यह कोई सम्यक् श्वास का लक्षण नहीं है। सीना तो अपने आप फूलेगा, किन्तु श्वास के कम्पन पेट तक जाएं। जो हमारी मांसपेशी है तनुपट, वह थोड़ा नीचे जाये और श्वास लेते समय पेट फूले और छोड़ते समय सिकुड़े। जब हम श्वास लेते हैं तब छह-सात लीटर हवा पेट में जाती है। इतनी हवा जाती है और उस हवा का दबाब जब नीचे जाता है तो पेट फूलेगा और छोड़ेंगे तब सिकुड़ेगा। बिलकुल सामान्य-सी बात है। पर सम्यक् श्वास भी हमारे जीवन में नहीं है। जब श्वास सम्यक नहीं है, श्वास का बल नहीं है तो ईंधन के बिना चूल्हा प्रज्वलित नहीं होता, शरीरबल, मनोबल, वाक्बल, यह शक्ति का चूल्हा तब जलेगा जब उसे श्वास का ईंधन मिलेगो। ऑक्सीजन मिलेगी, प्राणवायु प्रज्वलित होगी तब यह चूल्हा जलेगा। मूल बात शरीरबल नहीं है, मूल बात वाणी और मनोबल नहीं है। आधारभूत मौलिक बात है श्वास का बल, सम्यक् श्वास।।
श्वास सम्यक् होगा तो शरीर की शक्ति बढ़ जायेगी। आप प्रयोग कर सकते हैं, अनुभव कर सकते हैं कि किसी भी अवयव को मजबूत करना है, किसी भी अवयव को निरोग करना है, बीमारी को मिटाना है तो दस मिनट का समय लगायें। निरन्तर दीर्घश्वास लें, श्वास का संयम करें और चित्त को उसी अवयव पर टिका दें जिसे हम निरोग करना चाहते हैं, शक्तिशाली बनाना चाहते हैं। कुछ दिनों बाद आप देखेंगे कि उस अवयव की ताकत बढ़ रही है, शक्ति का विकास हो रहा है और उस अवयव की रुग्ण अवस्था, कमजोरी समाप्त होती जा रही है। एक-दो दिन में चाहेंगे तो बड़ी असंभव बात लगेगी। निरन्तर करें, लम्बे समय तक करें। आपको निश्चित अनुभव होगा कि परिवर्तन हो रहा है। उसमें श्वास का योग, ईंधन का योग जरूर चाहिए। ईंधन की तो आज सारी समस्या है, ऊर्जा की आज समस्या है। यदि ऊर्जा के बिना प्रकाश होता तो आज ऊर्जा के क्षेत्र में इतने
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