Book Title: Main Kuch Hona Chahta Hu
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 134
________________ मैं आत्मानुशासन चाहता हूं १२७ किन्तु प्राण तो और सूक्ष्म बन गया कि उसका पता ही नहीं चलता। पकड़ में भी नहीं आता। जब प्रेक्षा-ध्यान के अभ्यास में कहा जाता है कि प्राण के प्रकम्पनों को पकड़ें, प्राण के प्रवाह का अनुभव करें, प्राण के स्पन्दनों का अनुभव करें तो लोग कहते हैं कहां हो रहा है। यह तो भूल-भुलैया है। कुछ पता ही नहीं चलता। अरे! कैसे चलेगी? स्थूल जगत् में जी रहे हैं, सूक्ष्म जगत् की बात कर रहे हैं, कैसे पता चलेगा? सक्ष्म को पकड़ने के लिए चित्त को भी सूक्ष्म होना होगा। जब तक चित्त सूक्ष्म नहीं होगा तो सूक्ष्म का पता ही नहीं चल सकेगा। ___जब प्राण के अनुशासन की क्षमता जाग जाती है तो एक हाथ में तापमान को बढ़ाया जा सकता है, दूसरे हाथ में तापमान को घटाया जा सकता है। दाएं भाग के तापमान को बढ़ाया जा सकता है और बाएं भाग के तापमान को घटाया जा सकता है। उलटा किया जा सकता है। चाहे जिस अवयव को स्तब्ध किया जा सकता है और चाहे जिस अवयव को अधिक सक्रिय किया जा सकता है। कला का विकास, कौशल का विकास, शिल्पकर्म का विकास-ये सारे प्राण-शक्ति के चमत्कार हैं। प्राणशक्ति का चमत्कार है कि आंख के देखने मात्र से आदमी को वहीं का वहीं खड़ा रखा जा सकता है। आदमी को सुलाया जा सकता और आदमी को जगाया जा सकता है। ये सम्मोहन की सारी क्रियाएं प्राण-शक्ति के चमत्कार हैं। लोहे की सांकल को तोड़ा जा सकता है। ये सारे प्राण के चमत्कार हैं। प्राण पर अनुशासन होने का मतलब है स्वतःचालित नाड़ी पर हमारा नियन्त्रण हो जाता है। . चौथा है-वाणी का अनुशासन । वचन पर हमारा अनुशासनं । बहुत कठिन होता है वाणी का अनुशासन करना। मौन का दिन है-मुंह से नहीं बोलेंगे। स्मृति आती है-क्या यह वाणी नहीं है। स्मृति शब्दातीत नहीं होती। चिन्तन आता है। वह भी वाणी है। चिंतन भाषातीत नहीं है? शब्दों के बिना चिंतन नहीं होता, चिंतन भी एक वाणी है। कल्पना होती है। कल्पना कहां से आई। आकाश से टपक गई क्या?. भाषा के माध्यम से ही तो होगी। आप बोल नहीं रहे हैं। मन में कल्पना का चक्र चल रहा है। बोल ही तो रहे हैं। यानी बहिर्जल्प नहीं हो रहा है, अन्तर्जल्प हो रहा है। तर्क-शास्त्र में दो प्रकार के जल्प होते हैं-अन्तर्जल्प और बहिर्जल्प। आपका बहिर्जल्प नहीं है, किन्तु अन्तर्जल्प तो चल रहा है। आप सपना ले रहे हैं। क्या हो रहा है? बोल रहे हैं, सपने में भी भाषा है। वैज्ञानिक परीक्षण किए गए कि सपने के समय में भी मनुष्य का स्वरयंत्र सक्रिय होता है। स्वरयंत्र निष्क्रिय हो जाए तो फिर स्मृति नहीं हो सकती, कल्पना नहीं हो सकती, चिंतन नहीं हो सकता। यह सारी सक्रियता स्वरयंत्र की सक्रियता से ही हो सकती है। इसीलिए आपको निर्देश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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