Book Title: Main Kuch Hona Chahta Hu
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 114
________________ मैं मनुष्य हूं ( २ ) ध्यान का प्रयोग चेतना के विकास का प्रयोग है, दर्शन का प्रयोग है। आज यह सद्यस्क अपेक्षा है कि आज के दार्शनिक दर्शन को नए परिप्रेक्ष्य में समझने का प्रयत्न करें। केवल पुरानी बातों से काम नहीं चलेगा। प्राचीन समय की बातें दर्शन की परिधि में आती हैं, किन्तु मध्ययुगीन दर्शन यथार्थ दर्शन नहीं रहा । वह केवल बौद्धिक ही बना रहा । उसमें से अनुभव की चेतना लुप्त हो गई। उस दर्शन. ने तर्क को बहुत आगे बढ़ा दिया। हमारे प्राचीन दार्शनिक बौद्धिक और तार्किक बल के धनी न भी थे, पर वे ऋषि थे, द्रष्टा थे । ऋषि ही वास्तव में दार्शनिक होता है । ऋषि की परिभाषा करते हुए कहा गया है- 'ऋषिदर्शनात्-ऋषि वह होता है, जिसमें दर्शन की क्षमता होती है, जो द्रष्टा होती है । जो द्रष्टा नहीं होता, जो देखने वाला नहीं होता वह ऋषि नहीं हो सकता। वह मुनि और तपस्वी नहीं हो सकता। उसमें दर्शन की - साक्षात्कार करने की क्षमता होनी चाहिए । 1 साक्षात्कार करने की प्रक्रिया भारतीय साधना-पद्धति की धुरी है। यहां के साधक परोक्ष में कम विश्वास करते थे, साक्षात्कारं या प्रत्यक्ष में अधिक विश्वास करते । मध्ययुग में यह बात उलट गई। उस समय में दार्शनिक साक्षात्कार की प्रक्रिया को महत्त्व न देकर तर्क के आधार पर तथ्यों का मंडन करने लगे। दर्शन या साक्षात्कार पर भरोसा नहीं रहा, केवल तर्क और बुद्धि पर भरोसा बढ़ता गया । अनेक कारणों में यह भी एक कारण रहा है भारत के पिछड़ने का । आज जो विकसित राष्ट्र हैं, उनके विकास की भित्ति साक्षात्कार पर आधृत है । साक्षात्कार अतीन्द्रिय चेतना के द्वारा भी हो सकता है और सूक्ष्म उपकरणों के द्वारा भी हो सकता है। पश्चिम के लोगों ने साधना के द्वारा अतीन्द्रिय चेतना का विकास नहीं किया, किन्तु ऐसे सूक्ष्म यंत्रों का निर्माण किया कि उनके माध्यम से अतीन्द्रिय पदार्थों का, तत्त्वों का ज्ञान करने में वे सुफल हो गए। आज वे सूक्ष्म यंत्र अतीन्द्रियज्ञान के स्थानापन्न हैं । जब मुख्य चला जाता है तब स्थानापन्न व्यक्ति उस कार्य का संचालन कर लेता है । आज के सूक्ष्म वैज्ञानिक यंत्र अतीन्द्रिय ज्ञान के स्थान पर काम कर रहे हैं । उनके माध्यम से वैज्ञानिक अनेक तथ्यों का साक्षात्कार कर उन्हें जगत् के सम्मुख प्रस्तुत कर रहे हैं । 1 आज दार्शनिक जगत् वैज्ञानिक जगत् से पिछड़ गया है। आज दर्शन इसलिए निस्तेज हो गया कि उसने साक्षात्कार की प्रक्रिया को छोड़ दिया । विज्ञान इसलिए आकर्षण का केन्द्र बन गया कि उसने साक्षात्कार की प्रक्रिया को नहीं छोड़ा। जिनके साथ साक्षात्कार की प्रक्रिया नहीं होती, जो केवल अनुमान के आधार पर चलता है, वह बहुत आगे तक नहीं पहुंच पाता और अतिसूक्ष्म सत्यों को नहीं पकड़ पाता। सूक्ष्म सत्यों को साक्षात्कार की प्रक्रिया के द्वारा ही पकड़ा जा Jain Education International १०७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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