________________
मैं कुछ होना चाहता हूं प्रश्न है-कैसे करें? क्या करें? सबसे सरल उपाय है, गन्दगी के उन झरनों को बंद कर देना होगा। आस्रवों का संवर करना होगा। इसमें मन का सहारा ले सकते हैं। इससे मन की शुद्धि हो सकती है।
झरनों को सुखाना सबसे पहला उपाय है।
दूसरा उपाय होगा-मन की नाली को बन्द कर देना जिससे कि भीतर से जो आए, वह उसे स्वीकार न करे, सम्बन्ध कट हो जाए। ये दोनों उपाय चलें तो हमारी परेशानी का अन्त होगा और यह प्रश्न भी समाहित हो जाएगा कि सोचता कुछ हूं और होता कुछ है, यह क्यों? आदमी फिर यह शिकायत कभी नहीं करेगा कि प्रात: एक बात सोचता हूं, मध्याह में दूसरा बात सोचता हूं और शाम को तीसरी बात सोचता हूं और करता कुछ और ही हूं। यह सब कैसे हो? पहले हम बाहर से चलें। पहले ही हम भीतर के झरनों से सम्बन्ध-विच्छेद कर दें। घरों से सम्बन्ध ही तोड़ दें, जिससे घरों की गन्दगी इन नालियों तक पहुंचे ही नहीं। इसका उपाय यही है। दुनिया में कोई बात निरुपाय नहीं होती।
___ मन को शुद्ध और स्वच्छ करने का उपाय है-संकल्प की दृढ़ता और एकाग्रता। गंदगी आते-आते यह नाली इतनी गंदी बन गयी, इतनी जर्जरित हो गई कि उसकी शक्ति द्वीण हो गई। उसकी ताकत को बढ़ाने का एकमात्र उपाय है-संकल्प को दृढ़ बनाना। मन कल्पनाशील है। वह बहुत कल्पना करता है। वह निरन्तर कल्पना करता ही रहता है। परन्तु कोई कल्पना टिकती नहीं। आती है
और चली जाती है। क्योंकि कल्पना करने वाले मन की शक्ति क्षीण हो गई। आदमी बाहर से भी प्रभावित होता है और भीतर से भी प्रभावित होता है। हमारी सारी दुनिया प्रभावों की दुनिया है। कहीं कभी तूफान आता है, बवण्डर उठता है; आंधी आती है। यह केवल हमारी पृथ्वी की घटना नहीं है। आज के वैज्ञानिक, पुराने ज्योतिषी, खगोलशास्त्री और आकाशीय-पिण्डों का अध्ययन करने वाले महामनीषी व्यक्ति इस सचाई को जानते हैं कि दूसरे ग्रहों में घटना घटती है तब पृथ्वी पर आंधियां, भयंकर तूफान आते हैं। वहां की प्रतिक्रिया यहां होती है। अकाल होता है, अवृष्टि और अतिवृष्टि होती है-ये भी पृथ्वी की घटनाएं नहीं हैं। इनके साथ भी आकाशीय घटनाएं जुड़ी होती हैं। हमारी समूची पृथ्वी न जाने कितने आकाशीय पिण्डों का प्रभावित क्षेत्र है! वहां के विकिरण. वहां की रश्मियां यहां आती हैं और प्रभाव डालती हैं। कुछ वर्षों पूर्व एक बार राजस्थान में बहुत वर्षा हुई। लोगों ने अनुमान लगाया कि अभी-अभी राजस्थान में अणु-विस्फोट किया गया है, उसी का परिणाम है। किन्तु सचाई यह नहीं थी। सचाई यह थी कि उस वर्ष सूर्य में कुछ विस्फोट हुए थे। उसकी कुछ विशेष स्थिति बनी थी, इसलिए यहां अतिवृष्टि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org