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इन्द्रिय अनुशासन
___३३ १. विषयों के प्रति सम्यग् योग।
२. लीनता को बदलना। रस की धारणा को बदलना और उसका अनुभव करना।
जो व्यक्ति ऐसा कर लेता है उसके लिए इन्द्रिय-शुद्धि सहज हो जाती है। उसके लिए उपदेश की आवश्यकता नहीं रहती। वह अपने आप होने वाली जीवन की महान घटना बन जाती है।
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