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श्वास पर अनुशासन
का स्फटिक पारदर्शी होता चला जाता है। एक दिन ऐसा आता है कि एक ओर खड़े हो तुम, एक ओर है यह पारदर्शी आत्मा और उसके पीछे झांक रही हैं तुम्हारी आंखें।
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