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इन्द्रिय अनुशासन
इन्द्रिय- शुद्धि का अर्थ है कि जिस इन्द्रिय का जितना मूल्य हो, उसको उतना ही मूल्य देना, न कम और न अधिक । आज समाज में उनको अतिरिक्त मूल्य देने की प्रवृत्ति बढ़ी है । इसको मिटाना चाहिए। व्यक्ति-व्यक्ति को यह बात समझनी चाहिए कि इन्द्रियों का जितना मूल्य माना जा रहा है, उतना उसका मूल्य नहीं है। यह बात चाहे प्रत्येक व्यक्ति के समझ में न आए, किन्तु जब मनुष्य इन्द्रियों को अतिरिक्त मूल्य देने के कारण प्रताड़ित होता है, तब यह बात स्पष्ट रूप से समझ में आ जाती है। प्रत्येक बात प्रताड़ना के बाद ही समझ में आती है, पहले नहीं । अमेरिका के एक प्रसिद्ध उद्योगपति से किसी ने पूछा- आपकी सफलता का रहस्य क्या है? उसने कहा - सही समय में सही निर्णय लेने की क्षमता ने ही मुझे सफलता के शिखर पर चढ़ाया है। सही निर्णय का आधार है- अनुभव। अनुभव का आधार है - गलत निर्णय । मैंने अनेक बार गलत निर्णय लिए । उन गलत निर्णयों से हानि उठाई तब अनुभव के आधार पर ही सही निर्णय लेने की क्षमता जागी और सही निर्णय के आधार पर सफलता मिलती गई ।
गलती के बिना कोई आदमी कैसे सीख सकता है 1
एक बार बादशाह ने बीरबल से पूछा- तुम्हें इतनी बुद्धि कहां से मिली ? बीरबल बोला- मूर्खों से। मैंने देखा कि जिन कामों के आधार पर व्यक्ति मूर्ख होता. हैं, मैंने वे काम छोड़ दिए। मैं बुद्धिमान होता गया । दुनिया में मूर्खो और पागलों की कमी नहीं है ।
एक वकील ने मरते समय अपनी वसीयत लिखी। उसमें लिखा कि मेरी सारी संपत्ति मूर्खो और पागलों में बांट दी जाएं। क्योंकि मैंने यह सारी संपत्ति मूर्खो और पागलों से ही बटोरी है ।
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प्रताड़नाओं, गलतियों और मूर्खताओं के बिना कोई भी आदमी सही निर्णय पर नहीं पहुंचता । मनुष्य समाज ने भी बहुत गलतियां कीं । उसने इन्द्रियों को बहुत मूल्य दिया। उसके दुःखद परिणाम सामने आए। उसे तब यह भान हुआ की इन्द्रियों को अतिरिक्त मूल्य देना खतरे से खाली नहीं है। जीवन में बहुत हानि होती है, बड़ी कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं। इससे उसे बोध- पाठ लेते-लेते इन्द्रिय- शुद्धि की बात सूझी। उसने सोचा- इन्द्रिय- शुद्धि की जाए । इन्द्रियों को अतिरिक्त मूल्य न दिया जाए। उन पर विजय प्राप्त की जाए ।
सही समय पर सही निर्णय अध्यात्म के आचार्यों ने किया और उन्होंने समाज के सामने इन्द्रिय-शुद्धि और इन्द्रिय-विजय की बात प्रस्तुत की। प्रश्न होता है कि क्या ऐसा करना संभव है या हम असंभव को संभव बनाने का निरर्थक प्रयत्न कर रहे हैं? यह असंभव चर्चा नहीं है। यदि हम नियमों को जान लें तो
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