Book Title: Jivajivabhigama Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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प्रथम प्रतिपत्ति - अजीवाभिगम का स्वरूप
. समाधान - प्रदेशों के समूह को अस्तिकाय कहते हैं। काल कभी समूह रूप नहीं बनता क्योंकि चालू समय रहते अगले समय आते ही नहीं, इसलिये अस्तिकाय नहीं कहा गया है। काल के तीन भेद हैं - भूतकाल, भविष्यत् काल और वर्तमान काल। इनमें से भूतकाल तो नष्ट हो चुका और भविष्यत् कालं आने वाला है, अभी आया नहीं है। इसलिये ये दोनों वर्तमान रूप में नहीं है। अत: सिर्फ 'वर्तमान' एक ही समय है। अर्थात भत और भविष्य असत है केवल वर्तमान क्षण ही सत है। एक समय रूप होने से इसका कोई समूह नहीं बनता, इसलिये इसके देश-प्रदेश की कल्पना नहीं होती। ____ इस प्रकार धर्मास्तिकाय के स्कन्ध, देश, प्रदेश; अधर्मास्तिकाय के स्कंध, देश, प्रदेश और आकाशास्तिकाय के स्कन्ध, देश, प्रदेश तथा अद्धा समय-ये दस भेद अरूपी अजीव के भेद समझने चाहिये।
से किं तं रूवि अजीवाभिगमे? . रूवि अजीवाभिगमे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा - खंधा, खंधदेसा, खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते समासओ पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - वण्ण परिणया, गंध परिणया, रस परिणया, फास परिणया, संठाण परिणया, एवं ते जहा पण्णवणाए, से त्तं रूवि अजीवाभिगमे, सेत्तं अंजीवाभिगमे॥५॥ .
भावार्थ - रूपी अजीवाभिगम क्या है ?
रूपी-अजीवाभिगम चार प्रकार का कहा गया है। वह इस प्रकार है - स्कंध, स्कंध का देश, स्कंध का प्रदेश और परमाणु पुद्गल। वे संक्षेप से पांच प्रकार के कहे गये हैं। यथा - १. वर्ण परिणत २. गंध परिणत ३. रस परिणत ४. स्पर्श परिणत और ५. संस्थान परिणत। इस प्रकार जैसा प्रज्ञापना सूत्र में कहा गया है उसी प्रकार यहां भी समझना चाहिये। यह रूपी अजीव का वर्णन हुआ। यह अजीवाभिगम का वर्णन हुआ। ..
विवेचन - रूपी अजीव के चार भेद बताये हैं - १. स्कंध २. स्कंध देश ३. स्कंध प्रदेश और ४. परमाणु पुद्गल। .. __अल्पज्ञ एवं छद्मस्थ जीवों की दृष्टि से अगोचर, अति सूक्ष्म पदार्थ को 'अणु' कहते हैं। दो अणु मिल कर द्वय-अणुक बनता है और तीन अणु मिल कर त्रय-अणक बनता है। इस तरह अनन्त अण समुदाय को एक 'स्कंध' कहते हैं। स्कन्ध के बुद्धि कल्पित भाग को 'देश' कहते हैं। स्कन्ध या देश में मिले हुए अति सूक्ष्म भाग को 'प्रदेश' कहते हैं। वही प्रदेश भाग जब स्कंध से अलग हो जाता है तब उसको 'परमाणु' कहते हैं। पुद्गल का सबसे सूक्ष्म अंश परमाणु है। जिसके फिर दो विभाग नहीं हो सकते हैं।
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