Book Title: Jain Shrikrushna Katha
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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श्रीकृष्ण-कथा-तापस का बदला
प्रात. जब राजा उग्रसेन ने रानी से पूछा तो उसने कह दिया'पुत्र उत्पन्न होते ही मर गया।' राजा ने विश्वास कर लिया और बात आई गई हो गई।
-वसुदेव हिंडी, देवकी लंभक –त्रिषष्टि०८/२ ----उत्तरपुराण ७०/३२२-३४६
पहली बार मुनि भोजन हेतु आए तो राजभवन मे आग लग गई। अत किसी ने ध्यान नही दिया । (श्लोक ३३४)
दूसरी बार राजा के निमत्रण पर आए तो पट्ट हाथी विगड गया था । अत उन्हे निराहार रहना पडा। (श्लोक ३३५)
तीसरी बार राजा उग्रसेन के विशेष आग्रह पर पारणे हेतु पधारे। उस समय जरासध ने कुछ ऐसे पत्र भेजे थे कि उग्रसेन का चित्त व्याकुल हो रहा था अत उस दिन मी मुनि को लौटना पड़ा। (श्लोक ३३६)
तव प्रजा ने कहा कि राजा न तो स्वय आहार देता है और न हमको देने देता है न जाने उसकी क्या इच्छा है। यह सुनकर मुनि ने उयसेन को मारने का निदान कर लिया। (श्लोक ३३८-३४०)
कस की माता का नाम पद्मावती दिया है। (श्लोक ३४१)