Book Title: Jain Shrikrushna Katha
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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मातृभक्ति
शौया से प्रेरित होकविश्राम के लिए तो उन्हे मथुरा
_ 'जो कोई पुरुप शाङ्ग धनुप को चढा देगा उसके साथ ही देवागना जैसी सुन्दरी सत्यभामा का विवाह कर दिया जायगा।' यह उद्घोषणा कस की आजा से मथुरा नगरी में प्रसारित कराई जा रही थी।
सत्यभामा जैसी सुन्दरी के लोभ मे अनेक राजा और राजपुत्र आए किन्तु धनुप कोई न चढा सका।
वसुदेव की अन्य पत्नी मदनवेगा से उत्पन्न पुत्र अनावृष्टि ने भी शौर्यपुर मे यह घोषणा सुनी । वह भी सत्यभामा को प्राप्त करने की इच्छा से प्रेरित होकर चल दिया और सीधा गोकुल जा पहुंचा। ___गोकुल मे रात्रि विश्राम के लिए वह नन्द के घर रुका। वहाँ उसने कृष्ण के अद्भुत चमत्कारी कार्य सुने तो उन्हे मथुरा का मार्ग बताने के लिए अपने साथ ही रथ पर विठा लिया ।' ____गोकुल से मथुरा का मार्ग सकीर्ण था। रथ दोनो ओर के वृक्षो से अटक-अटक कर निकल रहा था। एक बार वड़ का विशाल वृक्ष ही अड़ गया। रथ का पहिया अटक गया। विना वृक्ष को उखाडे रथ का निकलना सभव ही नही था । अनावृष्टि ने कई प्रकार से प्रयास किया किन्तु सफलता नहीं मिली । अन्त मे उतरा और वह वृक्ष को उखाडने लगा।
वट वृक्ष साधारण नही था जो उखड जाता । अनावृष्टि पसीनापसीना हो गया, उसने अपनी पूरी शक्ति लगा दी किन्तु वृक्ष टस से मस न हुआ। निराश होकर वगले झाँकने लगा। १ भागवत १०/३६/१-३६ । यहाँ कृष्ण और बलराम दोनो ही अक्रूर के साथ मथुरा को जाते हैं। . .
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