Book Title: Jain Shrikrushna Katha
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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वाण ने युद्ध प्रारम्भ कर दिया। श्रीकृष्ण और उसका युद्ध काफी देर तक चलता रहा, शस्त्रवल-विद्यावल सभी प्रयुक्त हुए । अन्त मे वाण निरस्त्र हो गया और वासुदेव ने उसके शरीर के टुकडे-टुकडे कर दिए। अजेय वाण मारा गया । देव शकर का वरदान भी उसे न बचा सका।
वासुदेव उषा और अनिरुद्ध को साथ लेकर द्वारका लौट आए। -वहाँ उनका विधिवत विवाह कर दिया ! वैदर्भी ने अपनी पुत्रवधू के के स्वागत में बहुत उत्सव किया ।
-त्रिषष्टि० ८/८