Book Title: Jain Shrikrushna Katha
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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जैन कथामाला भाग ३२
'शार्ङ्गधनुप नन्द के पुत्र ने चढा दिया है।' यह सुनते ही कम के प्राण आधे रह गये । उसे बहुत शोक हुआ । प्रत्यक्ष रूप से तो वह कुछ कर नही सकता था अत उसने प्रच्छन्न रूप से कृष्ण को नष्ट करने की योजना बनाई। उसने घोषणा कराई - शार्ङ्गधनुप के महोत्सव की और उसमे बाहुयुद्ध का आयोजन रखा गया ।
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कस की इस कुटिल योजना को वसुदेव समझ गए । उन्होने अपने सभी ज्येष्ठ वन्धु तथा अक्रूर आदि पुत्र वुला लिए । कस ने सभी यादवो का उचित सत्कार किया और एक ऊँचे मच पर सम्मानपूर्वक आसन दिया ।
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मल्लयुद्ध उत्सव का समाचार वृन्दावन भी पहुँचा । कृष्ण ने अग्रज बलराम से कहा
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- भैया ! हम भी मथुरा चलकर उत्सव देखे ।
वलराम अनुज की भावना को समझ गए । उन्होने कृष्ण की इच्छा स्वीकार करके यशोदा से स्नान के लिए पानी तैयार करने को कहा ।
एक दिन जीवयशा का भाई मानु किसी कार्यवश गोकुल गया । वहाँ वह कृष्ण का पराक्रम देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और उन्हे अपने साथ मथुरा ले गया ।
कृष्ण ने कम की उद्घोषणा की तीनो शर्ते पूरी कर दी। उनके अपार पराक्रम को देखकर बलराम के हृदय में शका हुई और उन्होंने उसी समय अपने विश्वस्त साथियो के साथ कृष्ण को व्रज भेज दिया ।
( हरिवश पुराण ३५ / ७१-७६) विशेष—यही वर्णन उत्तर पुराण में भी है (७० / ४४५-४५५) बस इतनी विशेषता है कि कृष्ण सुभानु ( कम का साला) के सकेत से व्रज चले
गए ।