Book Title: Jain Shrikrushna Katha
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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जैन कथामाला भाग ३२ नग्नजित की मृत्यु के बाद पुष्कलावती का राज्य मिला चारुदत्त को, परन्तु वह उसे भोग न सका । उसके भागीदारो ने उसे पराजित कर दिया।
निर्बल सदा ही वलवान की शरण लेता है। चारुदत्त भी निर्बल था अत उसने श्रीकृष्ण की शरण ग्रहण की। दूत द्वारा उसने द्वारकाघोश श्रीकृष्ण से कहलवाया-'हे स्वामिन् । मेरी रक्षा करो।' . ,
तुरन्त शरणागत की रक्षा हेतु श्रीकृष्ण गाधार देश जा पहुँचे, भागीदारो को मार गिराया और चारुदत्त को राज्य पर विठा दिया ।
चारुदत्त ने भी अपने उपकारी वासुदेव कृष्ण को अपनी बहन गाधारी देकर आदरभाव प्रदर्शित किया ।
श्रीकृष्ण गाधारी को द्वारका ले आए और रानी पद्मावती के ‘महल के समीप ही उसे एक महल मे स्थान दिया।
X , इस प्रकार श्रीकृष्ण की आठ पटरानियॉ हो गई --सत्यभामा, रुक्मिणी, जाम्बवती, लक्ष्मणा, मुसीमा, गौरी, पद्मावती और गाधारी।
-त्रिषष्टि० ८/६