Book Title: Jain Shrikrushna Katha
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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वसुदेव के अन्य विवाह
-'स्थ को वेग से चलाओ।' लाल नेत्र करके गधर्वसेना ने सारथी को आज्ञा दी।
इस आना का कारण था एक मातगी की ओर कुमार वसुदेव का आकृष्ट होना । मातगी भी उनकी ओर अनुरागपूर्वक देख रही थी। दोनो की ही यह कामपीडित दगा गधर्वसेना न देख सकी। स्त्री अपनी सपत्नी को वरदाश्त कर भी नही मकती ] कैसे छिन जाने दे अपना एकाधिकार ? __गधर्वसेना अपने पति वसुदेव कुमार के साथ वसत उत्सव मनाने उद्यान जा रही थी। बीच में ही यह वाधा आ टपकी तो उसे रोष आगया।
उद्यान मे गधर्वसेना के साथ के वसन्त क्रीडा करके वसुदेव वापिस चपा नगरी लौटे । उसी समय एक वृद्धा मातगी ने आशीष देकर उनसे कहा
--मेरी बात ध्यान पूर्वक सुनो।
- कहिए, क्या कहना चाहती हैं, आप ? वसुदेव ने --उत्तर दिया।
मातगी कहने लगी
पूर्व में आदिजिन भगवान ऋपभदेव ने दीक्षा ग्रहण करते समय जब भरतक्षेत्र के राज्य का विभाजन किया था तव दैवयोग से नमि
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