Book Title: Jain Dharm aur Jina Pratima Pujan Rahasya
Author(s): Hiralal Duggad
Publisher: Jain Prachin Sahitya Prakashan Mandir Delhi
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आगमसम्मत प्रमाणित करने के लिए सर्वप्रथम तीन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है। यथा
1--चैत्य शब्द के अर्थ की विचारणा। 2-आगमगत पाठों की प्रकरण विषयानुसारी अर्थ-संगति तथा उन पर लिखे गये प्राचीन आचार्यों के नियुक्ति, भाष्य चुणि और टीका के पाठों की गवेषणा। 3-इनके अतिरिक्त प्रस्तुत विषय से संबन्ध रखने वाली सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि आगमों की वर्णन शैली का ज्ञान ।
इसके बिना प्रस्तुत विषय में जो निर्णय होगा वह अधिक संतोष जनक प्रमाणित नहीं हो सकेगा।
जैनागमों में जिनप्रतिमा के लिए विशेषरूप से चैत्य शब्द का प्रयोग हुआ है। 2-मन्दिरों केलिए जिनघर, जिनमन्दिर, चैत्यालय, सिद्धायतन आदि नामों का उल्लेख मिलता हैं।
जैनों में म ति पूजा के निषेधक तथा मदिर म तियो के विरोधक पंथों के जो आचार्य साधु-साध्वियां आदि प्रचारक है वे 1-जिन पडिमा 2-चेत्य, 3-सिद्धायतन आदि शब्दों के मनमाने अर्थ करके मूर्तिपूजा को आगम विरोधी और मिथ्या बतलाते हैं और यह बात सिद्ध करने के लिये जैनागमों में जिनमंदिर, जिनमूर्ति, चैत्यालय तथा जैनतीर्थों का एवं उनकी पूजा उपासना का कोई उल्लेख न होने का दावा करते हैं। इस मान्यता के प्रचार के लिए साहित्य, एवं प्रवचनों द्वारा सदा कटिबद्ध रहते हैं।
____ इस लिये हम यहां आगमों के इन्हीं उल्लेखों का सही अर्थों से स्पष्टिकरण करना चाहते हैं कि मूर्ति मान्यता तथा उनकी पूजादि विधि-विधानों का वर्णन आगमों में अवश्य विद्यमान है। इसलिये नि:सदेह-जैनधर्म में मूर्तियों, मन्दिरों, तीर्थों आदि की स्थापनाएं तथा उनकी पूजा उपासना आगमानुकूल हैं।
12 चैत्य जिनपीडमा का अर्थ : तीर्थकर की प्रतिमा-मूति
(1) चैत्य-चित्त अर्थात् अन्तःकरण उनका भाव अथवा क्रिया वे चैत्य कहलाते है । चैत्य बहुत होने से चैत्य बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।
(2) अरिहंतों की प्रतिमाएं प्रशस्त समाधि वाले चित्त भावनाओं को उत्पन्न करती है। इस लिए उन्हें चैत्य कहा जाता है।
(3) चैत्यों के रहने के स्थान को भी चैत्य (जिनमदिर-जिनगृह) कहते है।
(4) जैनागम प्रश्नव्याकरण सूत्र के म लपाठ में आया है-"चइय? निज्जरटीए" इस का अर्थ है-चैत्य के निमित्त धैयावच्च करें। कौन करे ? निर्जरार्थी यानी कर्म की निर्जरा करने वाला व्यक्ति । म र्ति को माननेवाले चैत्य शब्द का अर्थ जिनप्रतिमा करते हैं। मूर्ति विरोधी जहां-जहां आगम में चैत्य शब्द का प्रयोग हुआ है वहां कहीं ज्ञान, कहीं साधु, कहीं बगीचा आदि भिन्न-भिन्न अर्थ
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