________________
प्रथम अध्याय भारतीय आर्य-भाषा भारत में आर्यों का आगमन
भारत में आर्यों का आगमन कब हुआ, ये आर्य कहाँ से आए थे, यह अब भी विवादास्पद है। सामान्यतया यह मान सा लिया गया है कि 2000 ई० पू० या उससे कुछ पहले से लेकर 1500 ई0 पू0 तक भारत के उत्तर पश्चिम सीमान्त प्रदेशों के भागों में आर्यगण आने लगे थे। यह सिद्धान्त भी स्थापित किया गया है कि आर्यों का झुंड कई दलों में आया था। मुख्यतया दो बार दो दलों में भारत-आगमन का सिद्धान्त स्थापित किया गया है। इस मत की स्थापना प्रथम श्री हॉर्नले ने की। अनन्तर ग्रियर्सन' ने कुछ संशोधनों के साथ आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं के अध्ययन के आधार पर इस सिद्धान्त का समर्थन किया। डॉ० सुनीति कुमार चटर्जी ने भी ग्रियर्सन के कुछ सिद्धान्तों का परिमार्जन कर इस मत की पुष्टि की है। इन विद्वानों ने आधुनिक आर्य भाषाओं को दो वर्गों में विभक्त किया है-1. बहिर्वर्ती शाखा और 2. अन्तर्वर्ती शाखा। भारतीय आर्यभाषाओं के भेद
बहिर्वर्ती शाखा के अन्तर्गत पूर्वी हिन्दी, बंगला, मराठी आदि हैं तथा अन्तर्वर्ती शाखा के अन्तर्गत पश्चिमी हिन्दी, गुजराती, आदि। ग्रियर्सन ने दर्दी भाषा को बहिर्वर्ती भाषा के अन्तर्गत रखा है। इस तरह ग्रियर्सन के मत के अनुसार आर्य भाषा के दो भेद