________________
गुणों के प्रकार :
. जो गुण सभी द्रव्यों में पाया जाये, वह सामान्यगुण है, और जो किसी निश्चित् द्रव्य में ही पाया जाये, वह उसका विशेष गुण है।
अस्तित्व, वस्तुत्व, द्रव्यत्व, प्रमेयत्व अगुरुलघुत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, प्रदेशत्व, मूर्तत्व और अमूर्तत्व, इस प्रकार से ये दस सामान्य गुण हैं। प्रत्येक द्रव्य में आठ सामान्य गुण पाये जाते हैं, जैसे जीव में मूर्तत्व और अचेतनत्व का अभाव है और पुद्गल में अमूर्तत्व एवं चेतनत्व का अभाव है। ३५ . .. ___ ज्ञान, दर्शन, सुख, वीर्य, स्पर्श, वर्ण, गतिहेतुत्व, स्थितिहेतुत्व, अवगाहनहेतुत्व, वर्तनहेतुत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, मूर्तत्व और अमूर्तत्व-ये सोलह द्रव्यों के विशेष गुण हैं । अन्त के चार गुणों को स्वजाति की अपेक्षा सामान्य और विजाति की अपेक्षा विशेष गुण कहा जाता है । ३६ ....
कार्तिकेयानुप्रेक्षा में आचार्य शुभचन्द्र ने छः सामान्य गुणों की व्याख्या इस प्रकार की है- जिससे द्रव्य का नाश न हो, वह अस्तित्व, जिससे अर्थक्रिया हो वह वस्तुत्व, जिससे सदा परिणमन हो वह द्रव्यत्व, जिससे द्रव्य किसी न किसी के ज्ञान का विषय हो वह प्रमेयत्व, जिससे द्रव्यान्तर एवं गुणान्तर न हो वह अगुरुलघुत्व, जिससे द्रव्य का कोई न कोई आकार बना रहे वह प्रदेशित्व गुण
गुण की व्याख्या करते हुए वाचक उमास्वाति ने कहा-गुण द्रव्य के आश्रित और स्वयं निर्गुण होते हैं ।३८
प्रवचनसार की टीका में अमृतचन्द्राचार्य ने गुण को सामान्य विशेषात्मक कहा है। उन्होंने अस्तित्व, नास्तित्व, एकत्व, अन्यत्व, द्रव्यत्व, पर्यायत्व, सर्वगतत्व, असर्वगतत्व, सप्रदेशत्व, अप्रदेशत्व, मूर्तत्व, अमूर्तत्व, सक्रियत्व, अक्रियत्व, चेतनत्व, अचेतनत्व, कर्तृत्व, अकर्तृत्व, भोक्तृत्व, अभोक्तृत्व,
३५. का. प्रे. टी. २४१ . ३६. का. प्रे. टीका १०: २४१ ३७. वही. ३८. द्रव्याश्रया निर्गुणा गुणाः त. सू. ५.४१
२८.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org