Book Title: Dravya Vigyan
Author(s): Vidyutprabhashreejiji
Publisher: Bhaiji Prakashan

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Page 287
________________ ७६. न्यायविनिश्चय विवरण, भट्टाकलंकदेव, सं.पं. महेन्द्रकुमार जैन, प्र. भारतीय ज्ञानपीठ, काशी, प्र.सं. १९५४. ७७. न्यायसूत्रः गौतम ऋषि, सं.पं. श्रीराम शर्मा, आचार्य संस्कृति संस्थान, बरेली, प्र. सं. १९६४. ७८. न्यायावतार वार्तिक वृत्तिः शान्तिसूरि, सं. पं. दलमुख-मालवणिया, प्र. सिंधी जैन शास्त्र शिक्षापीठ, भारतीय विद्याभवन, बम्बई, प्रथमावृत्ति, सन्१९४९. ७९. नयचक्रसार अने गुरुगुण छत्तीसी- श्रीमद्देवचन्दजी श्री अध्यात्म दर्शन प्रचारक मण्डल पाडरा द्वितीयावृत्ति संवत् १९८५. ८०. नन्दीसूत्र - व्या. श्री आत्मारामजी म., प्र.आ. श्री आत्मारामजी जैन समिति, लुधियाना, सनप १९६६. ८१. नयदर्पण- भाग प्रथम, द्वितीय, ले. जिनेन्द्रवर्णी, प्र.दि. जैन पारमर्थिक संस्थाएँ जवेरीबाग, इन्दौर (म.प्र.) प्र.सं. १९६५. ८२. प्रज्ञापना सूत्र- प्रथम खण्ड, सं. ज्ञानमुनि, प्र. श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.) प्र.सं. १९८३. ८३. प्रज्ञापना सूत्र -द्वितीय खण्ड, सं.ज्ञानमुनि, प्र.श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.) प्र.सं. १९८४. ८४. प्रज्ञापना सूत्र -तृतीय खण्ड, सं. ज्ञानमुनि, प्र. श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.) प्र.सं. १९८०. ८५. प्रवचनसार सूत्र- श्री अमृतचन्दाचार्य देव कृत तत्त्वदीपिका नामक संस्कृत टीका एवं श्री जयसेनाचार्यदेव विरचित तात्पर्य वृत्ति नामक संस्कृत टीका ..सहित, प्र. श्री वीतराग सत्साहित्य प्रसारण ट्रस्ट, ६०२, कृष्णानगर, भावनगर (गुज.) प्र. सं. वि. सं. २०२६.. प्रवचन रत्नाकर- प्रथम खण्ड, सं. डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, अनुवादक पं. .. रतनचन्द्र भारिल्ल, प्र. पं. टोडरमल स्मारक ट्रस्ट ए-४ बापूनगर -जयपुर प्र. सं. १९८१. ८७. प्रवचन रत्नाकर-द्वितीय खण्ड, सं. डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, अनुवादक पं. २६१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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