Book Title: Dravya Vigyan
Author(s): Vidyutprabhashreejiji
Publisher: Bhaiji Prakashan

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Page 292
________________ १३३. श्री ललित विस्तरा- हिन्दी विवेचन प्रकाशन सहित, रचित. श्री हरिभद्र सूरीश्वर. १३४. शास्त्रवार्ता- समुच्चय और उसकी स्याद्वाद-कल्पलता टीका, रचित आ. हरिभद्रसूरीश्वर, व्याख्याकार यथोविजय गणिवर्य, हिन्दी विवेचन पं. श्री बदरीनाथजी प्रथम स्तबक, प्रकाशक चौखम्भा ओरियन्टालियक, पो.आ. चौखम्भा पो. बाक्स नं. ३२ गोकुल भवन के. ३७/१०९ गोपाल मंदिर लेन, वाराणसी, प्र.सं. १९७७. १३५. शास्त्रवार्ता- समुच्चय और उसकी स्याद्वाद-कल्पलता, द्वितीय स्तबक, रचित आ. हरिभद्रसूरीश्वरजी, व्या. यशेविजय गणिवर्य, हिन्दी विवेचन पं. श्री बदरीनाथजी, प्र. दिव्य दर्शन ट्रस्ट, ६८ गुलालवाड़ी, बम्बई-४. १३६. शास्त्रवार्ता- समुच्चय और उसकी स्याद्वाद-कल्पलता,तृतीय स्तबक, रचित आ. हरिभद्रसूरीश्वरजी, व्या. यशेविजय गणिवर्य, हिन्दी विवेचन पं. श्री बदरीनाथजी, प्र. दिव्य दर्शन ट्रस्ट, ६८ गुलालवाड़ी, बम्बई-४. १३७. शास्त्रवार्ता- समुच्चय और उसकी स्याद्वाद-कल्पलता, चतुर्थ स्तबक, रचित आ. हरिभद्रसूरीश्वरजी, व्या. यशेविजय गणिवर्य, हिन्दी विवेचन पं. श्री बदरीनाथजी, प्र. दिव्य दर्शन ट्रस्ट, ६८ गुलालवाड़ी, बम्बई-४. १३८. शास्त्रवार्ता- समुच्चय और उसकी स्याद्वाद-कल्पलता, पंचम स्तबक, रचित आ. हरिभद्रसूरीश्वरजी, व्या. यशेविजय गणिवर्य, हिन्दी विवेचन पं. श्री बदरीनाथजी, प्र. दिव्य दर्शन ट्रस्ट, ६८ गुलालवाड़ी, बम्बई-४. प्र. सं. वि. सं. २०३९. १३९. शास्त्रवार्ता- समुच्चय और उसकी स्याद्वाद-कल्पलता, सप्तम स्तबक, रचित आ. हरिभद्रसूरीश्वरजी, व्या. यशेविजय गणिवर्य, हिन्दी विवेचन पं. श्री बदरीनाथजी, प्र. दिव्य दर्शन ट्रस्ट, ६८ गुलालवाड़ी, बम्बई-४. प्रं. सं. वि. सं. २०४०. १४०. शास्त्रवार्ता- समुच्चय और उसकी स्याद्वाद-कल्पलता, अष्टम स्तबक, रचित आ. हरिभद्रसूरीश्वरजी, व्या. यशेविजय गणिवर्य, हिन्दी विवेचन पं. श्री बदरीनाथजी, प्र. दिव्य र्दन ट्रस्ट, ६८ गुलालवाड़ी, बम्बई-४. प्रं. सं. वि. सं. २०३८. २६६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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