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जैनदर्शन का लक्ष्यः
जैनदर्शन मात्र विवेचनात्मक दर्शन ही नहीं है, वह उपयोगी सिद्धान्तों के प्रतिपादन द्वारा आचरण योग्य भी है। जैनदर्शन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष है और उसी मुक्ति की प्राप्ति में अवरोधों को जानने का और आचरण का उपदेश जैन दार्शनिकों ने दिया है ।११५ षड्द्रव्य को भी इसीलिए समझना चाहिये।
जीव और पुद्गल का संबन्ध अनादि है, पर उसे समाप्त किया जा सकता है और शुद्ध आत्म स्वभाव प्रकट हो सकता है ।११६
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११५. “आश्रवो भवहेतुः स्यात्.....प्रपञ्चनय्” सर्वदर्शन संग्रह पृ. ४.३९ ११६. रा.वा. ५.१९.२९.४७२
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