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पुद्गल के लक्षण:
तत्त्वार्थसूत्र में उमास्वाति ने पुद्गल का लक्षण स्पर्श रस, गन्ध और वर्ण युक्त किया है। उत्तराध्ययन सूत्र में पुद्रल को पाँच लक्षणों से युक्त कहा गया है - वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान । ४५
वर्ण :
गंध :
रस :
वर्ण पाँच प्रकार का होता है- काला, नीला, लाल, पीला, और सफेद । ४६
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गंध दो प्रकार की होती है । सुगंध और दुर्गंध ।४७ रस (स्वाद) पाँच प्रकार का होता है - तीखा, कड़वा, और मीठा ।
कसैला, खट्टा
स्पर्श :- स्पर्श आठ प्रकार का होता है- कठोर, कोमल, हल्का, भारी ठंड़ा, गरम, चिकना और रूखा । ४९
संस्थान :- संस्थान (आकार) पाँच प्रकार का होता है । परिमण्डल संस्थान वृत्त (गोल) संस्थान, त्रयस्र संस्थान, समचतुरस्र (चौरस) संस्थान और आयत (लम्बा) संस्थान । ५०
इन वर्ण, गंध, रस, स्पर्शं और संस्थान से युक्त ही पुद्गल हो सकता है। ऐसा नहीं कि एक भौतिक पदार्थ में वह गुण है, दूसरे में नहीं ।
वैशेषिक दर्शन की मान्यता ठीक इसके विपरीत है। वैशेषिक नौ द्रव्य मानते हैं । इन नौ द्रव्यों के अपने-अपने गुण हैं ।
रूप, रस, गन्ध तथा स्पर्श गुण से युक्त जल रूप तथा उष्ण स्पर्श गुण से युक्त अग्नि और स्पर्शगुण से युक्त वायु है, १ परन्तु जैनदर्शन की यह मान्यता नहीं है ।
४४. त.सू. ५.२३ एवं द्रव्य प्रकाश २.४
४५. उत्तराध्ययन ३६.१५.
४६. उत्तराध्ययन ३६.१६
४७. उत्तराध्ययन ३६.१७
४८. उत्तराध्ययन ३६.१८
४९. उत्तराध्ययन ३६.१९.२०
५०. उत्तराध्ययन ३६.२१
५१. भारतीय दर्शन भाग २. डॉ. राधाकृष्णन् पृ. २०४
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