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अशुद्ध
शुद्ध
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को खडा से तथा भी
इसमें बाद में का अभ्यास से पडी तथा भी होने पर प्रानन्द
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करना
इसा ये इन से दूर
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११८
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से ये प्रज्ञानादि दूर नामक दो मिले शमन कहीं भूल प्राधार फिर हो, तो इससे अहो !........में गुनो
शमान कहा भुलाया या पाधार फि होता है जिससे अरे...से गुना (३) उसी या पश्य सत्य पाछा मनाता ज उदयं
१३१
उन्हीं
यानी पथ्य सत्य । पीछा अनयंता जं उदयं
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