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सूचीपत्र
(प्रेय लिपि-लिपिपल५२ ५५ लिपिपत्र ५२ वां-पल्लववंशी राजाओं के समय के १० लखो और करम के दानपत्र से.
५३ यां-पल्लव और पांड्यवंशी राजाओं के समय के लेग्ब और दानपत्रों से..
छां-पनघवंशी नन्दियमन् ( पालवमल ) और गंगायशो पृथ्वीपति ( दुसरे ) के दानपत्रों से ५५पी-कुलोत्तुंगचोस पर विक्रमचोड के लेखा तथा बाणवंशी विक्रमादित्य के दानपत्र से ५६ घां--पांडयवंशी सुंदरपांड्य के लेख और यादव विरूपाक्ष तथा गिरिभूपाल के दानपत्रों से
(कालग लिपि-लिपिपन्न ५७-५६). ५७/-कलिंग नगर के गंगावंशी राजाओं के तीन दानपत्री से. ५८ वां--कलिंग नगर के गंगावंशी राजानों क दानपत्रों से.
वां-कालग नगर के गंगावंशी राजा वनहस्त के पाकिमेडि के दानपत्र से.
(तामिळ लिपि-लिपिपत्र ६०-६२). ६०षां-पल्लघवंशी राजाओं के तीन बानपत्रों के अंत के तामिळ अंशों से
पां-पल्लवतिलक दंतिवर्मन और राष्ट्रकूट कृष्णराज (तीसर) के लेखों से. ६२ यां- राजेंद्रचोल, विरूपाक्ष और बालककामय के लेखादि के.
(बटेकुन्तु लिपि-लिपिपत्र ६३-६४). ६३ वां-जटिलवर्मन् और घरगुरणपांड्य के लेखादि से. ६४ वां-श्रीयमवगोडे, भास्कररविधर्मन और धीरराघव के दानपत्रों से.
(खरोष्ठी लिपि-लिपिपन्न १५-७०), १५ वां-मौर्यवंशी राजा अशोक के शहाजगढ़ो और मान्सेरा के लेखों से. ६६वां-हिंसुस्तान के प्रीक (यूनानी).शक, पार्थिवन् और कुशनवंशी राजाओं के सिकी से. ६७ वा-मथुरा तथा तक्षशिला से मिले हुए लखों से. ६८ पां-पार्थिन् राजा मंडोफरस और कुशनचंशी राजा कनिक के समय के खेतों से.
यां-बाईक् ( अनपानिस्तान में), भारा, पाशा भार कल्दरा के लेखों से. ७० थां-तक्षशिला, फसहजंग, कनिहारा, पथियार और चारसड़ा के लखों से.
(प्राचीन अंक-लिपिपत्र ७१-७६). ७१ घां-प्रायी और उससे निकली हुई लिपियों के प्राचीन शैली के अंक (१से इसक). ७२-माझी और उससे निकली हुई लिपियों के प्राचीन शैली के अंक (१से और १० से १०तक ७३ बां-भालो और उससे निकली हुई लिपियों के प्राचीन शैली के अंक (२० से १० तक). ७५ घt-ग्राही और उससे निकली हुई लिपियों के प्राचीन शैली के अंक (१.० से १०० तक). ७५ घां-माझी और उससे निकली लिपियों के प्राचीन शैली के अंक (१००० से ७००० तक); मिश्र.
अंक, और ब्राह्मी से निकली हुई लिपियों के नवीन शखी के अंक (१से और 1. ७६-प्राली से निकली हुई लिपियों के नवीन शैली के अंक (१से और.), तथा खराठो सिपिक
(वर्तमान लिपियां-लिपिपत्र ७७-८१). ७७ पां-वर्तमान शारदा (कश्मीरी), टाकरी और गुरमुत्री लिपियां. जां -पतमान कैथो, बंगला और मैथिल लिपियां
पां-वर्तमान उडया, गुजराती और मोष्टी (मराठी) लिपियां ८० -धर्तमान शेलुगु, कनड़ी और ग्रंथ लिपियां. १ धो-धर्तमान मल्याळम् , तुलु और तामिळ खिपिया.
(वर्तमान लिपियों की उत्परित-६२-८५), ८२ पां-पर्तमान नागरी और शारवा (कश्मीरी) लिपियों की उत्पत्ति. २३ मां-वर्तमान बंगला और कनड़ी लिपियों की उत्पत्ति. मां-पतमाम अंध और तामिळ लिपियों तथा नागरी अंकों की उत्पत्ति.
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