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प्राचीनलिपिमाला.
-ती. २१ (दुर्मगण का लेग); नी. राष्ट्रकट गोविंद (तीसरे) के दानपत्र से; पां. ३२ (देवपारा का लेख).
ग-ती. ६: चौ. ३२. -नागरी के समान. कु-ती. १६ ( उणीपविजयभारणी): चौ. ५ (हनाकोल का लेग्व )
च ती. ४. छती . १६ (उष्णीषविजयधारणी), ज-नागरी के समान. मती . १९ (उषपीपविजयधारणी); मौ. नीसरे का रूपांतर: पां. ३४ (बालभेंद्र का दानपत्र). न-ती. ३५ (हस्राकोल का लेख). ट-ती. २६ (जोधपुर का लेग्य) .१९ ( उज्जैन का लेस्त्र),
ड-नागरी के समान. -नागरी के समान. ण-पां. कन्हेरी के लेख सेछ.३४ (पल्लभेंद्र का दानपन), न-चौ. ३ (तड़िधी का दानपत्र): पां. ३४ ( हस्तलिखित पुस्तके). यत्रो . ३६. द-- चौ. ३२.
घ-- नागरी के समान. -नागरी के ममान. ए.चौ. तीसरे से बना. क- नागरी के समान. वनागरी के समान. भ-सी. १८, मौ. २३ (जोधपुर के लेन्च के भू' में ).
म-नागरी के समान य नागरी के 'ममान. रती . ३२ ( देवपारा का लेग्य); चौ. ३४ (घल्लमेंद्र का दानपत्र). ल नागरी के समान, व नागरी के समान. श-चौ. २५ ( देवल का लेग्न); पां. ३२ (देवपारा का लेख) प-जागरी के समान. स-चौ. ३२ (देवपारा का लेख ). इ-नागरी के समान, वर्तमान बंगला लिपि के स्वर मूल स्वरों से बने हैं : केवल ई' नागरी की नाई इ से बना है
कनकी लिपि की उत्पत्ति अ-दू.४५ : ती. ४७; ची. ४६; प. ५० (चमोल का लेख).
-द. ४० ( कर्कराज का दानपत्र ); सी. ४५ ( पुलुकेशिन का दानपत्र); ची. ४५. (हुतूर का दानपत्र).
ई-प. ३६ (मंदसौर कालेग्व); द. पहिले से बना; सी. ४७,चो. ५० (अनंकोंडा का लेख),
ए-दह ( वासिष्ठीपुत्र के लेख); नी. १५७ चौ. ४५ ( डलूर का दानपत्र); पां. ve (राजा अम्म का दानपत्र).
ओ-द..( वासिष्ठीपुत्र के लेख);ती. ५०,
क- द. ९ (वासिष्ठीपुत्र के लेख); ती. ४४ (देवगिरि का दानपख); चो. ४७; पां. ५. (चतोल का लेग्व),
- ( वासिष्ठीपुल के खेसा ); ती. १:ची ४५ ग-द. ६ ( वासिष्ठीपुत्र के लेख); ती. ५. (उरुवुपहिल का दानपत्र).
घ-दह ( चामिष्ठीपत्रके लेख); ती.४४ (देवगिरि का दानपत्र); चौ.४५ (बलर का दानपत्र): पां. ५. (अनंकोंडा का लग्ब ).
F....द. ४४ ( काकुस्थवर्मन के दानपत्र के 'घो में); ती. दूसरे से बना. च. द. (वासिष्ठीपत्र के लेव),ती. ४६ चौ. ४८: पां. ५०(ब्रोल का लेख), क-दु. ८: ती. ४० चौ. ५० (चेनोलू का लेख) ज-दू. ४३ नी. ४७; थी. ४८ (राजा भीम का दानपत्र), झ-द. ६ (वासिष्टीपुत्र के लेख):ती. दूसरे से मना; चौ. तीसरे से बना; पां. ५०.
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