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प्राचीनलिपिमाला. इम मन् में १५५५-५६ मिलाने से ई. म. और १६१२ मिलाने से विक्रम संवत् बनता है.
यह सन् अक्वर और जहांगीर के समय तक चलता रहा परंतु शाहजहां ने गही बैठतेही(ई.स. १६२८) इस सन् को मिटा दिया. यह सन् केवल ७२के करीब ही प्रचलित रहा और अक्षर तथा अहांगीर के ममय की लिखावटों, मिकों तथा इतिहास के पुस्तकों में लिखा मिलता है.
३४.--ईसघी सन् ईमधी मन् ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईमा मसीह (जीसम् क्राइस्ट) के जन्म के वर्ष में चला हमा माना जाता है और ईसा मसीह के नाम से इसको ईसवी सन् कहते हैं. ई. म. की पांचवीं शताब्दी तक तो इम मन् का प्रादुर्भाव भी नहीं हुआ था. ई. स. ५२७ के आमपास रोम नगर (इटली में) के रहनेवाले डायोनिसियम् एक्सिगुनस् नामक विद्वान् पादरी ने मजहबी सन् चलाने के विचार से हिसाय लगा कर १६४ में श्रोलिपिड्के चौथे वर्ष अर्थात् रोमनगर की स्थापना मे ७९५ में वर्ष में ईसा मसीह जन्म होना स्थिर किया और वहां से लगा कर अपने समय तक के वर्षों की संख्या नियत कर इस इयों में इस मन् का प्रचार करने का उद्योग किया, ई.स.की छठी शताब्दी में इटली में, पाठ । में इग्लैंड में, आठवीं तथा नवीं शताब्दी में फ्रान्स, बेनजिनम्, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में और ई. स. १००० के आस पास तक यूरोप के समस्त ईसाई देशों में इसका प्रचार हो गया, जहांकाल गणना पहिले भिन्न भिन्न प्रकार से थी, अब तो बहुधा सारे भूमंडल में इसका, कहीं कार कहीं ज्यादा, प्रचार है. सन् के अंकों को छोड़ कर बाकी सब बातों में यह रोमन लोगों का ही गई है. रोमन लोगों का पंचांग पहिले जुलियस सीजर ने स्थिर और ठीक किया था
ईसा मसीह का जन्म किस वर्ष में हुमा यह अनिधित है. इस सन के उत्पादक डायोनिसिश्रम एक्सिगुभस् ने ईसा का जन्म गेम मगर को स्थापना से ७५ पर्ष (वि.सं.५७ ) में होना मान कर इस संवत् के गत वर्ष स्थिर किये परंतु अब बहुत से विमानों का माममा यह है कि ईसा का जन्म ई. स. पूर्व ८ से ४ के बीच हुआ था न कि ई. स. १में (दीन्य पन्सारको पीडिमा, एच.सी. गो' नील संपादित; पृ. ५७०)
२. ग्रीस (यूमान ) देश में जेभस (जुपिटर इंद्र) प्रादि नेवताओं के मंदिरो के लिये पवित्र माने जानेवाले पोखि.. पस पर्फत के मागे के मैदान में प्राचीन काल से ही प्रति चौथे वर्ष शारीरिक बल की परीक्षा के दंगल हुमा करते थे जिमकी 'मोलिपिङ्ग गेम्स्' कहते थे. इसपर से एक दंगल से दूसरे दंगल के बीच के ४ वर्षों की संज्ञा 'भोलिपिमर' हुई. पहिले इस देश में कालगणना के लिये कोई सन् (संवत् ) प्रचलित न था इस लियेई. स. पूर्ष २६४ के मासपास सिसिली नामक द्वीप के रहनेवाले रिमे अस् नामक विद्वान् ने हिसाब लगा कर जिस ओलिंपिमद् में कॉरोइबस् पैदल दौड़ में जीत पाया था उसको पहिलामोतिपिम मान कर ग्रीकों में कालगणना की नीष ठाती. यद पहिला श्रीलिपिमई.स. पूर्व ७७६ में होना माना गया.
• प्रीको की माई रोमन लोगों में भी प्राचीन काल में कालगणना के लिये कोई सन पलित न था इस खिये पीछे से रोम नगर की स्थापना के वर्ष से सन् कायम किया गया, परंतु जिस समय यह सन् स्थिर किया गया उस समय रोम नगर को बसे कई शताब्दियां बीत गुकी थी इस लिये वहां के इतिहास के मित्र भित्र पुस्तको मे रोम की स्थापना से जो सन् लिखा गया है उसका प्रारंभ एक्सा नहीं मिलता रोमन इतिहास का सबसे प्राचीन लेग्तक फॅविमस् पिफ्टर (है. स. पूर्व २२०) इ.स. पूर्व ७४७ से; पॉलिविएस् (ई. ख. पूर्व २०४-१२२) ७५० से पॉसिबम् कॅटो (ई. स. पूर्व २३४१४६ ) ७४१ से; बॅरिस क्लॅपम ७४२ से और टेरेरिस् दरों (ई. स. पूर्व ११६-२७ ) ई.स. पूर्व ७५३ से इस सन् का प्रारंभ मानता है. वर्तमान इतिहास लेखक घरी का अनुकरण करते हैं.
. प्रारंभ में रोमन लोगों का वर्ष ३०४ दिन का था जिसमें मार्च से डिसेंबर तक के १० महीने थे. जलाई के स्थानापमास का नाम 'किन्क्रिलिस्' और मागस्ट के स्थानापत्र का नाम 'सेक्सिलिम्'था. फिर नुमा पाँपिलिअस् (इ. स. पूर्व ७१५-१७९) राजा ने वर्ष के प्रारंभ में जॅन्युअरी (जनवरी) और अंत में फेलभरी (फरवरी) मास बड़ा कर १२ चांद्र मास अर्थात् ३५४ दिन का वर्ष बनाया.इ.स. पूर्व ४५२ से चांद्र वर्ष के स्थान पर सौर वर्ष माना जाने लगा जो ४५ दिन का ही होता था परंतु प्रति दूसरे वर्ष ( एकांतर से ) कमशः २१ और २३ दिन बड़ाते थे, जिससे ४ बर्ष के १४६५ दिन और १ वर्ष के ३६६ दिन होने लगे. उनका यह वर्षे वास्तविक सौर वर्ष से करीब
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