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भारतीय प्राचीनलिपिमाला.
१-भारतवर्ष में लिसने के प्रचार को प्राचीनता.
भारतीय आर्य लोगों का मत यह है कि उनके यहां बहुत प्राचीन काल से लिखने का प्रचार चला माता है और उनकी लिपि (ब्रामी), जिसमें प्रत्येक अक्षर या चिन्ह एक ही ध्वनि या उच्चारण का सूचक है और जो संसारभर की लिपियों में सबसे सरल भोर निदोष, स्वयं ब्रह्मा ने बनाई परंतु कितने एक यूरोपिअन् विद्वानों का यह कथन है कि भारतीय आर्य लोग पहिले लिखना नहीं जानते थे, उनके वेदादि ग्रंथों का पठनपाठन केवल कधनश्रवणद्वारा ही होता था और पीछे से उन्होंने विदेशियों से लिस्वना सीखा.
मॅक्समूलर ने लिखा है कि मैं निश्चय के साथ कहताई कि पाणिनि की परिभाषा में एक भी शन्द ऐसा नहीं है जो यह सूचित करे कि लिखने की प्रणाली पहिले से थी, और वह पाणिनि का समय ईसवी सन पूर्व की चौथी शताब्दी मानता है.
बर्नेल का कथन है कि 'फिनिशिमन् लोगों से भारतवासियों ने लिखना सीखा और फिनिशिभन्' अचरों का, जिनसे दक्षिणी अशोकशिपि (ब्राह्मी) पनी, भारतवर्ष में ई.स. पूर्व ५०० से पहिले प्रवेश नहीं हश्रा और संभवतः ई.स. पूर्व ४०० से पहिले नहीं:
प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता बूलर, जो 'सेमिटिक' लिपि से ही भारतवर्ष की प्राचीन लिपि (ब्रामी) की उत्पत्ति मानता है, मॅक्समूलर तथा पर्नेल के निर्णय किये समय को स्वीकार न कर लिखता है कि
ई.स. पूर्व ५०० के आसपास, अथवा उससे भी पूर्व, ब्राह्मी लिपि का पड़े श्रम से निर्माण करने का कार्य समाप्त हो चुका था और भारतवर्ष में 'सेमिटिक' अक्षरों के प्रवेश का समय ई.स. पूर्व ८०० के करीय माना जा सकता है, तो भी यह अनुमान अभी स्थिर नहीं कहा जा सकता. भारतवर्ष या सेमिटिक देशों के और प्राचीन लेखों के मिलने से इसमें परिवर्तन की भावश्यकता हुई तो अभी अभी मिले हुए प्रमाणों से मुझे स्वीकार करना पड़ता है कि[भारतवर्ष ] में लिपि के प्रवेश का समय
१. मात्र मासिकं तु समय सकिः बजाय बहः पावावर विमान पाहतारपनः पुरा(मानिहकतत्व' और 'ज्योति. स्तस्य' में हस्पति का वचन) बामरिचररि माहिति हम सचमन कोकमनाभरिन, सभा गमिः।(नारदस्मृति). बृहस्पतिरचित मनु के वार्तिक में भी ऐसा ही लिखा है (स.यु.६ जिल्ल २३, पृ. ३०४): और चीनी यात्री इयुएत्संग, जिसने ई.स. ६२६ से ६५५ तक इस देश की यात्रा की, लिखता है कि 'भारतवासियो की धर्णमाला के अक्षर प्रह्मा ने बनाये थे और उनके सप (रूपांतर) पहले से अब तक चले आ रहे हैं ' (बीबु.रे..वः जिल्द १, पृ.७७). १. में हि.प.सं.लि पृ. २६२ (अलाहाबाद का पा.)
फिनिशिम फिनिशिमा के रहने वाले. पशिमा के उत्तरपश्चिमी विभाग के 'सारित्रा' नामक देश (तुर्कराज्य मैं) को प्रीक (यूनानी) तथा रोमन् लोग 'फिनिशिश्मा' कहते थे. वहां के निवासी प्राचीन काल में बड़े व्यवसायी तथा शिक्षित थे. उन्होंने ही यूरोप बालों को लिखना सिखलाया और यूरोप की प्राचीन तथा प्रचलित लिपियां उन्हींकी लिपि से निकली है. ५. नासा...पू...
भरबी, इथियोपित, अरमाक, सीरिअर, फिमिशिमन, हि आदि पश्चिमी पशिया और माफ्रिका खंर की माषामौतथा उनकी लिपियों को 'सेमिटिक' अर्थात् बारबलप्रसिह नूह के पुत्र शेम की संतति की भाषाएं और लिपियर्या कहते ह.
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