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भारत में लिखने के प्रचार की प्राचीनता. 'आतक' के पुस्तकों में रसानगी तथा राजकीय' पत्रों, करजा लेने वालों की तहरीरों तथा पोत्यक (पुस्तक)का', और कुटुंर संबंधी मावश्यकीय विषयों'. राजकीय मादेशों तथा धर्म के नियमों के सुवर्णपत्रों पर खुदवाये जाने का वर्णन मिलता है.
दुख के पूर्वजन्मो की कथाओं को जातक कहते हैं. बौद्ध साहित्य में ऐसी प्रायः ४५० कयामों का २५ निपातों (अभ्यायो ) में बड़ा संग्रह है. प्रत्येक कथा के प्रारंभ में लिखा है कि जेतपन में मनाथपिडिक के भाग में या अन्यत्र जप दुर बिहार करते थे तब अमुक प्रसंग उठने पर उन्होंने यह कथा कही. कथा के पूर्ण होने पर पुर में बताया है कि रस समय के पमान) मनुष्यों में से इस कथा के समय पूर्व जन्म में कौन कौम किस किस शरीर में थे और अंत में अपना भी पता दिया है किस कथा का ममुक पात्र में भा.
भास्प करहरी पर बीस जातकों के मित्र देहुए भार उनपर नाम भी विप है. एक पर सो जातक में माथा का एक पाद ज्यो का स्यों सुदा हुमा है. यह स्तूर इ.स. पूर्व की तीसरी शताब्दी का है मतपय जातकों का इसस प्राचीन होना तो सिडही है, परंतु जिन राजाओं और नगरी का उनमें उमेश है ये नंद भीर मौर्यवंशी राजाओं के पहले और पात्रों के भावार म्यवहार भी बुख के पात पहले के जान पड़ते हैं, इससे यह मामला साहस नहीं है कि ई.स. एवं की ली शताब्दी या उससे भी पहले के समाज के चित्र जातकों की कथामो मेक्षित है. प्रोफेसर कॉयेल की संपादकता मे जातकों का अंगरेज़ी भाषांतर ६ जिलो में छप कर प्रकाशित हुआ है. मूल डॉक्टर फॉसबॉल ने रोमन लिपिमे प्रकाशित किया है.
काशी के एक सेठ के गुलाम कराहक ने जाली चिट्ठी ( पण=पर्ण= पाप ) से अपने पापको सेटका पुन सरकारले एक दूसरे सठ की पुत्री से विवाह कर लिया. उस पत्र पर उसमे सेट ही की मोहर (मुरिका-मुद्रिका) भी जर तीवी (कढाहक जातक)
सिला (तक्षशिला के विश्वविद्यालय के एक अध्यापक सपने पुराने पात्रों को पगण (पत्र) लिजा (महासतसोम
है. एक राजा, जो राज्य छोड़कर बमवाली होगया था, एक ग्राम में जाकर रहा. वहां वालों ने उसका मातिथ्य प्रमा किया जिस पर उसने अपने भाई को. जो राजा था, एक पण भेजा कि इसका राजकर क्षमा कर दिया जाये (कामनातक),
काशी के एक राजा ने अपने निकाले हुए पुरोहित को फिर बुलाने के लिये एक गाथा लिख कर पराल भेजा और जसपर राजमुरिका (राजमुद्रिका) से मोहर को (पुणणनदी जातक).
पोतलि के राजा भरसक (अश्मक) के मंत्री मंदिसेन ने एक सालम (शासन) लिख कर दंतपुर के राजा कालिंग का माक्रमण रोका और कालिंग राजा लेख को सुन कर (लेख सुत्वा) रुक गया (बुशकालिंग जातक).
सात राजामों ने काशी की घेरा देकर राजा प्राइस को पण मेला कि राज्य छोड़ो या लड़ो. उसके उत्तर में राजा के भाई असदिस (असाशीने पाणा पर अक्षर (मक्खरामि) खोदे (अधिन्दि) और पहचास ऐसे निशाने से मारा कि उनके भोजमपायों पर लगा. उसमें लिखा था कि भाग जाम्रो नही तो मारे जानोगे (प्रसदिस जातक.)
मामी चोर (जैसमाजकल पुलिस क रजिस्टर में 'नंबरी' पदमाश होते हैं। लिखितको चोरो,' अर्थात् जिसके बारे मेंराजको भोर से लिखी मात्रा निकल चुकी हो, कहलाता था. ऐसे चोर बीरसंघ मे मा भाकर भरती होने लगे, तपर इस पणेने को रोका (महावा १.४३).
. एक देवालिये ने अपने लेवालियों को करज़े की तहरीर पिण्णानि-अणपर्ण) लेकर गंगातीर पर माकर अपना पावना जाने के लिये बुलाया था (रुमातक).
१. एक प्रमवार व्राह्मण का पुत्र अपनी विरासत सम्हालमे गया और सोने के पत्र पर अपने पुरखामों के लिखेपन बीजक महर (अक्वानि) पांच कर उसने अपनी संपत्ति का परिमाण जामा (कण्ड जातक).
. काशी के राजा की रानी खेमा ने स्वम में स्वर्णमृग देखा और कहा कि यदि मुझे यह न मिला तो मैं मर जाऊंगी. इस पर गजा में सोने के पत्र पर एक कविता या कर मंत्री को दी और कहा कि इसे सारे नगरवासियों को सुना दो. उस कविता का भाव यह था कि जो कोई इस मृग का पता देगा उसे गांव और गहनों मे भूषित स्त्रियां दी आयेंगी (जातको ___.. राजा की मात्रा से कुछ जाति के पांच प्रधान धर्म (अहिंसा, अस्तेय. परस्त्रीगमननिषेध, मिध्यामाषानिदेष और मद्यपानमिपंध) सोने के पत्र पर पुषाये गये (कुरुधम्म जासक),
बोधिसत्व की मात्रा से बिमिययम्म (विनिमयधर्म) मी ऐसे ही सुदवाये गये थे (तेसकुन जानको.
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