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. वर्ग १ अध्ययन १ - संथारा और निर्वाण
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गुणस्न-संवत्सर तप तप दिन पारणा
सर्व दिन
३०१५/१५/२ २८१४/१४२ २६/१३/१३२ २४/१२/१२/२ ३३/११/११/११ ३०/१०/१०/१० २७३
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प्रश्न - गुणरत्न-संवत्सर तप की विधि क्या है?
उत्तर - गुणरत्न-संवत्सर तप की आराधना में सोलह महीने लगते हैं, इनमें तपस्या के चार सौ सात दिन तथा पारणे के तिहत्तर दिन लगते हैं। तपस्या के दिन, दिन में उकडू आसन से सूर्य के सन्मुख आतापना एवं रात्रि में प्रावरण रहित हो कर वीरासन से स्थिर रहना पड़ता है। पहले महीने में निरन्तर उपवास, दूसरे में बेले-बेले इस प्रकार सोलहवें महीने में सोलहसोलह की तपस्या करनी होती है। नीचे तालिका में इसी तप का स्वरूप दिया गया है। तीसरे महीने व पन्द्रहवें महीने में दो दिन ज्यादा लगे हैं तो छठे व तेरहवें महीने में दो-दो दिन कम हैं। ग्यारहवें महीने के छह दिन की पूर्ति सातवें से, दसवें के तीन दिन की पूर्ति आठवें से, बारहवें के बचे चार दिन सोलहवें महीने में मिला देने से बराबर चार सौ अस्सी दिन में आराधना होती हैं, जो तालिका से स्पष्ट है -
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