Book Title: Antkruddasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 209
________________ १८४ अन्तकृतदशा सूत्र *字字体水平不平*******来来来来来来来来****來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來来来来来冰冰******** दूध, दही, मुरब्बे, शिकंजी, सूखे मीठे आंवले, गुड़ (गुड़ के सभी प्रकार - कक्कावादि) शक्कर (शक्कर के सभी प्रकार) गूंद, गूंद के फूले, मधु, मक्खन, घी, छाछ, बिना अन्न की मिठाइयाँ, केले व आलू के चिप्स, गोली, टॉफी, चॉकलेट, मिश्री, मखाणा, तिल पपड़ी, तिल के लड्ड, आम के पापड़, सिघाड़े की सेव, साबूदाना (जिसमें भी मिले हो वे सब प्रकार के साबूदाने) ग्लूकोज, टेंगपाऊडर, इलेक्ट्राल, गन्ने का रस, नारियल का पानी, ताड़ के फल का पानी, (ताड़ के फल में तीन फल निकलते हैं) इमली, इमली का रस, मतीरे के बीज की चक्की, छंदा, कैरीपाक, ठंडाई (खसखस की), खरबूजे आदि के बीज इत्यादि वस्तुएं 'खाइम' में गिनी जाती है। (लघु प्रवचन सारोद्वार की गाथा ४७-४८ में हरे पत्तों वाले साग को भी 'खाइम' में गिनाया है।) साइमं में लौंग, सुपारी, इलायची, पान चूरी, पान तांबूल, सौंफ,. सौंफ की कूली, . धनिया, धनिया की दाल, धनिया की कूली, बल्वण, नमक आदि खटाई, चूर्ण, अनारदाना आदि हाजमोला, स्वाद इत्यादि पाचक मुखवास की वस्तुएं सुआ, पीपर, सूंठ, नमकीन आंवला, नींबू आदि में पकाई हुई वस्तुएं 'साइमं' में समझी जाती है। तए णं सा काली अज्जा रयणावलीतवोकम्मं पंचहिं संवच्छरेहिं दोहि य मासेहिं अट्ठावीसाए य दिवसेहिं अहासुत्तं जाव आराहित्ता जेणेव अज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवागया, उवागच्छित्ता अज्जचंदणं वंदइ णमंसड़, वंदित्ता णमंसित्ता बहूहिं चउत्थछट्टट्ठमदसमदुवालसेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरइ। भावार्थ - इस प्रकार काली आर्या ने रत्नावली तप की चारों परिपाटी पांच वर्ष दो मास और अट्ठाईस दिन में पूर्ण कर के चन्दनबाला आर्या के पास उपस्थित हुई और वंदन-नमस्कार किया। फिर बहुत-से उपवास, बेला, तेला आदि तपस्याओं से अपनी आत्मा को भावित करती हुई विचरने लगी। विवेचन - रत्नावली तप कर्म का स्वरूप सूत्र एवं अर्थ से ऊपर दिया गया हैं। तपस्या के दिन एवं पारणे के दिनों की संयुक्त संख्या १ वर्ष ३ महीने २२ दिन दी गई है। इसमें तपस्या के दिनों का परिमाण इस प्रकार हैं - १+२+३+(८x२)१६+१+२+३+४+५+६+७+4+8+१०+११+१२+१३+१४+१५+१६+(३४४२%) ६८+१६+१५+१४+१३+१२+११+१०+६+६+७+६+५+४+३+२+१+(८४२=)१६+३+२+१=३८४ दिन। पारणे के दिनों का परिणाम इस प्रकार है - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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