Book Title: Antkruddasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 207
________________ १८२ ___ अन्तकृतदशा सूत्र 本來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來中中中中中中中中中中林來來來來來 मेवे विगयों में नहीं है। वे खादिम के पेटे में आते हैं। परिपाटियों के हिसाब से वे पहली व दूजी परिपाटी में लिए जाते हैं। तीसरी परिपाटी में नीवी है उसमें खादिम का वर्जन होता है। छाछ भी खादिम में गिनी तो जाती है पर नीवी में मक्खन निकली छाछ ग्रहण की जाती है। नीवी में घी, तेल, दूध, दही व मीठा पूरे पांच विगय तथा खादिम और स्वादिम छोड़े जाते हैं। ___ चौथी परिपाटी में आयंबिल से पारणे हैं। जहां नमक, मिर्च, हल्दी, खटाई आदि सभी का वर्जन है। लूखे, अलूणे पदार्थ ही आयंबिल में खाए जाते हैं। धार विगय और लेप विगय के स्पष्टीकरण हेतु धार विगय और लेप विगय का ज्ञान बहुत उपयोगी है ताकि इस बात का खुलासा हो जाय कि कौनसी चीज धार विगय में है और कौनसी लेप विगय में है। अतः निम्न प्रश्नोत्तर ध्यान में लेने योग्य हैं - ___प्रश्न - लेप विगय और धार विगय किसे कहते हैं? पांचों विगय में लेपविगय व धार विगय में क्या भिन्नताएं समझनी चाहिए? उत्तर - लेप विगय - जिसमें घी, तेल, दूध, दही, मीठे का लेप अर्थात् अल्पमात्रा हो- उसे 'विगयवजं' (सलेवाड) अर्थात् 'लेप विगय' कहते हैं। धार विगय - जिसमें अधिक मात्रा में घृतादि विकृतियाँ मिली हुई है वे वस्तुएं ‘धार विगय' कहलाती है। लेप विगय वाली कुछ वस्तुएँ - छौंक-बघार वाले साग, कुछ मीठी दाल, कढ़ी, हल्का मीठा मेथी का साग, केरी, अमरूद का साग, साधारण चुपड़ी हुई रोटी, बाजरा, मक्का, ज्वार की रोटी (सोगरा), तले हुए पराठे, पुड़ी, खाखरे, पापड़, खीचिया, साधारण नमकीन, बड़े, कत्थे आदि वाली सौंफ, चूर्ण, चूर्ण की गोलियां, हल्का मीठा आंवला, बिना शक्कर का आम्ररस, पनीर व गुलाब जामुन का साग इत्यादि वस्तुएं लेप विगय वाली होती हैं। धार विगय वाली कुछ वस्तुएँ - शुद्ध पांचों विगय, अधिक घृतादि युक्त रोटी, सोगरा, पराठा, बाटी, बाफला, सभी प्रकार की मिठाइयाँ, फिका मावा, फिकी फीनी, घेवर, खाजे, जलेबी, साकली, गुलगुले, शकरपारे (दहीथरा), छुन्दा, कैरीपाक, छूना (दूधिया खीचफीका व मीठा) सभी मुरब्बे, शर्बत, शिकंजी, शर्बत, टेंग पाउडर, खीर, मीठा चावल, मीठी थूली, लापसी, गन्ने का रस, खजूर की चक्की, लड्डू इत्यादि वस्तुएं तथा - मिश्री, शक्कर, ओले, चिपड़ा, ग्लूकोज, इलेक्ट्रॉल आदि, शक्कर के व गुड़ के सभी प्रकार, मीठे धार विगय में समझे जाते हैं। मक्खन नहीं निकाला हो - ऐसा दही का झोलिया भी दही की धार विगय में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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