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अन्तकृतदशा सूत्र
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हुए। एक वर्ष चार महीने और सतरह दिन तपस्या हुई । चार परिपाटियों में छह वर्ष, दो महीने
और बारह दिन लगे ।
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इस प्रकार कृष्णा आर्या ने महासिंह - निष्क्रीड़ित तप की विधिपूर्वक आराधना की । अन्त में संथारा कर के काली आर्या के समान ये भी मोक्ष प्राप्त हुई ।
विवेचन महासिंह निष्क्रीड़ित तप का स्वरूप इस प्रकार है सिंह का बच्चा थोड़ा चलता है अतः उससे उपमित कर तप विशेष को लघुसिंह - निष्क्रीड़ित तप कहा गया है। बड़ा शेर ज्यादा चलता है अतः उसके समान तप को महासिंह - निष्क्रीड़ित तप कहा जाता है। जब सिंह मस्ती में होता है तो कुछ कदम आगे भरता है, कुछ डग पीछे भरता है, इस प्रकार इन दोनों तपों में दो कदम आगे भरते हुए एक कदम पीछे हटने का स्वरूप दर्शाया गया हैं।
चित्र पीछे देखें ।
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॥ आठवें वर्ग का चतुर्थ अध्ययन समाप्त ॥
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