Book Title: Antkruddasha Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 233
________________ २०८ अन्तकृतदशा सूत्र **** ** * ************ ***************************** विवेचन - गणना करने पर जिसके अंक सम अर्थात् बराबर हों, विषम न हों, जिधर से • गणना की जाए उधर से ही समान हों, उसे सर्वतोभद्र कहते हैं। लघुसर्वतोभद्र में एक से लेकर पांच अंक दिये गये हैं चारों ओर से जिधर से भी गिन लें सभी ओर से संख्या १५ ही होती है। लघु सर्वतोभद्र तप प्रतिमा में पच्चीस दिन पारणे के और ७५ दिन उपवास के होते हैं। चारों परिपाटियों में १ वर्ष, १ मास और दस दिन का समय लगा। लघु सर्वतोभद्र तप प्रतिमा | पहली लता | १ | २ | ३ | ४ | ५ | | दूसरी लता | ३ | ४ | ५ | १ | २ तप दिन ७५ तीसरी लता |५ | १ | २ पारणे २५ चौथी लता | २ | ३ | ४ | ५ | १ | पांचवीं लता | ४ | ५ | १ | २ | ३ | || आठवें वर्ग का छठा अध्ययन समाप्त। * * * * Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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